छोटे बाबा से अपील इसलिए कि 28 जनवरी की शाम को ग़ाज़ीपुर पर उनको जो संदेशा भरा आशीर्वाद आया वह प्रकृति-परमात्मा-पुरखे तीनों का आया, वैसे अपील संयुक्त किसान मोर्चा से है|
इनकी कोई मजबूरी नहीं है जिसकी वजह से इनको कृषि बिल्स वापिस ले MSP पे गारंटी कानून बनाने में कोई परेशानी होवे| हालाँकि अच्छी बात है पूछियेगा आप भी परन्तु यह मजबूरियां निम्नलिखित मिलेंगी इनकी:
1) कि देश की अर्थव्यवस्था बैठ जाएगी, बाजार बैठ जायेंगे|
2) देश में आर्थिक सुधार रुक जायेंगे|
कुछ नहीं होने वाला ऐसा, क्योंकि:
1) जब माल्या, चौकसी, 3-3 मोदी देश की जनता के पैसे पे खड़े बैंकों का हजारों करोड़ ढ़कार के इन्हीं की शय में देश के भाग जाते हैं, तब नहीं होती देश अर्थव्यस्था खराब?
2) जब कॉर्पोरेट जगत के एक-एक साल में 3-3, 5-5 लाख करोड़ के NPA खाते-बट्टे डाल दिए जाते हैं, तब नहीं होती अर्थव्यवस्था खराब?
3) जब हर सरकारी विभाग को ओने-पोने दामों में प्राइवेट के हाथों में देते हैं तब नहीं होती देश की अर्थव्यस्था खराब?
तो उस किसान के लिए ही काम करके देने के वक्त क्यों खराब होती है इनकी व्यवस्थाएं? यह सिर्फ इनके घड़ियाली आँसूं होंगे; आपसे व् तमाम 40-42 सदस्यों वाली "सयुंक्त-किसान-मोर्चा" कमेटी से अनुरोध है कि अपनी यह लाइन मेन्टेन रखें कि "बिल वापसी तो घर वापसी" व् MSP के गारंटी कानून| इनको कहियेगा कि आप यह काम करें, हम उठा के दिखाएंगे आपकी इकॉनमी को| और भी बड़े स्तर के व्यापार देंगे, रोजगार देंगे कृषि से| इतना मजमा बार-बार नहीं जुड़ता, आप पर 28 जनवरी की रात प्रकृति-परमात्मा-पुरखे तीनों की मैहर व् कॉल थी वह जो आपसे यह बात कहलवाई कि, "मर जाऊंगा परन्तु धरना छोड़ के नहीं जाऊंगा"| यह इशारा भी समझिये कि इस वक्त प्रकृति-परमात्मा-पुरखे भी आप लोगों के साथ हैं व् सिद्द्त से आप लोगों को आपके हक दिलवाने के लिए इनकी हर चालों को पलट दे रहे हैं|
हमें कोई परेशानी नहीं, आंदोलन बेशक 6 महीने और चलाना पड़े; हम सरदार अजित सिंह के भी वंशज हैं, जिन्होनें सन 1907 में अंग्रेजों के खिलाफ ऐसे ही 3 ही काले कृषि कानूनों के खिलाफ 9 महीने तक आंदोलन करके तब कानून वापिस करवाए थे| हम उन्हीं सर्वखाप चौधरी गॉड गोकुला जी महाराज के वंशज हैं, जिन्होनें सन 1669 में औरंगजेब के खिलाफ 7 महीने नाजायज कृषि टैक्सों के खिलाफ युद्धभेरी की थी|
यह खुद को बड़ा कहता है ना कि मेरे तो खून में ही व्यापार है, तो इससे किसी भी भावुकता के ग्राउंड पर बात ना करें; इसकी इसी बात को तोलें कि दिखा कितना व्यापार है तेरे खून में? कितना बड़ा नेगोसिएटर है तू| हम भी उस सर छोटूराम के वंशज हैं जो अंग्रेजों से ले गाँधी-नेहरू-जिन्नाह-मुखर्जी सबको उनकी नेगोसिएशन स्किल्स में अकेला मात दे देता था| आज किसान आंदोलन उसी स्तर की नेगोसिएशन स्किल्स दिखाते हुए बात करने के लेवल पर आन पहुंचा है, बस इतना ही कहना था|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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