Sunday, 3 January 2021

बचो सृष्टि पर श्राप नाम के इस कोढ़ 'फंडी' से!

लेख का उद्देश्य: आईये जानें फंडी क्या है, कौन है?

उद्घोषणा: लेखक हर परिधान, भाषा, कल्चर व् "ऐसा धर्म व् आध्यात्म जो वाकई में उसके मानने वालों के निष्पक्ष मानव कल्याण के लिए 90% तक भी काम करता है" उसका बराबरी से आदर करता है; इस लेख में जो लिखा है फंडी की बेईमान व् गैर-जिम्मेदाराना एप्रोच को आपको समझाने हेतु लिखा है| इसलिए इसको कदापि भी अन्यथा ना लिया जावे| हाँ, अगर इस लेख में लिखी कोई भी बात सच ना हो तो मुझे उजागर करें, माफ़ी समेत वह बात वापिस ली जाएगी|
दूसरे के सर दोष धर के तुम्हारे कल्चर-कस्टम-भाषा-आध्यात्म को निगलने वाला व् 3 कृषि बिलों को वापिस करवाने में समर्थन देने की बजाए अपने धर्म घरों के लिए चंदे पे ही ढीठ बेशर्मों वाली सवेंदनहीनता से जो चलता जाता हो; वह फंडी होता है| वह कैसे भला, इन उदाहरणों से समझिये:
1) वेस्टर्न कल्चर हमारा पहरावा खा गया; जबकि हरयाणवी दामण-कुडता व् सलवार-सूट की जगह सबसे ज्यादा क्या आता जा रहा है? जवाब है साड़ी|
2) वेस्ट की इंग्लिश तुम्हारी भाषा खा गई, जबकि हरयाणवी भाषा की जगह सबसे ज्यादा क्या आती जा रही है? जवाब है हिंदी व् संस्कृत|
3) मुस्लिम्स व् ईसाई तुम्हारा धर्म नष्ट कर देंगे, जबकि मूर्ती पूजा नहीं करने वाले आर्यसमाजियों व् दादा नगर खेड़ा धोकने वालों को सबसे ज्यादा मूर्तिपूजा में कौन धकेलता जा रहा है? जवाब है सनातनी|
4) मुस्लिम्स व् ईसाई रीति-रिवाज तुम्हारी सभ्यता नष्ट कर देंगे, जबकि सबसे ज्यादा ढोंग-आडंबर-पाखंडों में कौन घुसाता जा रहा है? जवाब है स्वघोषित राष्ट्रवादी|
5) खुद के धर्म का किसान सवा महीने से सड़कों पर अपनी फसलों नश्लों के अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है और इनको ऐसे में भी किसान का साथ देने की बजाए चंदे इकट्ठे करने के प्लान्स कौन ला रहा है? यह तथाकथित धर्म के ठेकेदार|
यही तो रोना है कि यह तुमसे कोई चीजे सीधे-सीधे नहीं मांगते, ना मिल-बैठ के इन चीजों पर तुमसे सलाह करके चलते, ना तुम्हें इनकी किसी भी गतिविधि में शामिल करते; क्यों? क्योंकि इनकी बदनीयती में तुमको वापिस देने के नाम पर होता है "ठेंगा"| जिसकी समाज से लेने के बदले कुछ देने की नियत होगी वही तो key decisions से ले हर कदम में तुमको बराबर से शामिल करेगा; परन्तु नहीं करते तो काहे के चंदे-चढ़ावे? यही फंड है, यही फंडी है|
इलाज सीधा सा है: इनके नाम के मूक-बधिर बन जाओ| इनको "Just avoid them" मोड में डाल लो| वरना यह तो भाई, "just kill them" से नीचे तो मामला नक्की करते ही नहीं| kill them emotionally, spiritually, intellectually; और जो इन तीन बिंदुओं पे मार दिया; फिर चाहे उसकी प्रॉपर्टी पे कब्जा करो, पैसे पे करो या घर-समाज की बहु-बेटी पर| इनके तरीके से मारे गए को फिर अहसास भी नहीं होता कि प्रॉपर्टी गई, पैसा गया या बहु-बेटी लूट ली गई|
बचो सृष्टि पर श्राप नाम के इस कोढ़ 'फंडी' से|
उद्घोषणा को फिर से दोहरा रहा हूँ: लेखक हर परिधान, भाषा, कल्चर व् "ऐसा धर्म व् आध्यात्म जो वाकई में उसके मानने वालों के निष्पक्ष मानव कल्याण के लिए 90% तक भी काम करता है" उसका बराबरी से आदर करता है; इस लेख में जो लिखा है फंडी की बेईमान व् गैर-जिम्मेदाराना एप्रोच को आपको समझाने हेतु लिखा है| इसलिए इसको कदापि भी अन्यथा ना लिया जावे| हाँ, अगर इस लेख में लिखी कोई भी बात सच ना हो तो मुझे उजागर करें, माफ़ी समेत वह बात वापिस ली जाएगी|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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