सुनने में आ रहा है कि यह लोग इन बिलों को किसी नए business model अथवा proposal अथवा opportunity की तरह ज्यादा ले रहे हैं, व् कुछ तो इनको ले कर अति-उत्साहित हैं, ज्यादा ही आशान्वित हैं| इनको लगता है कि गाम में किसी को ठेके-हिस्से-बाधे पे जमीन देने की बजाए, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पे बड़े मुनाफे पे, बड़ी कॉन्ट्रैक्ट अमाउंट पे कॉर्पोरेट वालों को देंगे व् शहर में बैठे-बैठे ज्यादा मुनाफा कमाएंगे, "हींग-लगे न फिटकरी, रंग चोखे का चोखा स्टाइल" में बिजनेसमैन बनेंगे|
अगर ऐसा सोचे हुए हैं, वह भी इन बिलों को ना ढंग से पढ़े-समझे तो समझिये गाम वालों से पहले आप लोगों की जमीनें सबसे पहले कुर्क होने तक पहुंचेंगी| वजह बिलों में है वह पढ़ लीजियेगा| फार्म बिल्स का कॉन्ट्रैक्ट क्लॉज़ कहता है कि
1) कॉन्ट्रैक्ट करने वाली कंपनी आपकी जमीन के कागजों पर भारी लोन्स ले सकेंगी|
2) अगर लोन नहीं चुका पाई कंपनी तो उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा बल्कि उस लोन की वसूली आपकी जमीनों की कुर्की से की जा सकेगी| और ताज्जुब मत मानियेगा, जब आपसे कॉन्ट्रैक्ट करने वाली कंपनी ही आपकी जमीन की कुर्की की बोली में भी शामिल मिलेगी तो| यानि उसी ने आपको उस हालत तक पहुँचाया होगा व् वही आपकी जमीन कुर्की के जरिये खरीद भी जाएगी| तब उसको खरीदने के लिए उसके पास पैसा होगा परन्तु आपकी जमीन पे लिए लोन को चुकाने को नहीं होगा|
3) SDM कोर्ट से आगे आप अपील भी नहीं कर सकेंगे|
मेरे कहे से नहीं समझ आती तो आज ही 3 कृषि बिलों की कॉपी मँगवाइए, इंग्लिश में समझ आती हो तो इंग्लिश में; अन्यथा हिंदी में| यह भी मत सोचना कि आप सयानी बुद्धि दिखाते हुए किसी कंपनी से इन तीन बातों को हटवा के कॉन्ट्रैक्ट साइन कर लोगे| नहीं होगा, क्योंकि कानून बन चुकी यह बातें अब|
और वैसे भी गाम वालों से ज्यादा कॉर्पोरेट के लिए शहरों में बैठे आप लोग ही सरल-सुगम व् पहला निशाना होंगे| देखियो कदे अब अपने गाम के भाई-भतीजों-अडोसी-पड़ोसियों को जमीनें हिस्से-बाधे पे दे जो मुनाफा कमा लेते हो शहरों में रह कर ही; उससे भी सदा के लिए जाते रहो|
अत: इनको समझो और ग्रामीण किसानों के साथ आवाज उठाओ| वरना आने वाली पीढ़िया गाम वालों को आपसे ज्यादा समझदार आँका करेंगी| और आप कहलाओगे शहरों में बैठी एक ऐसी जमात जो अन्य शहरियों के लिए एक कंस्यूमर मार्किट से ज्यादा कुछ नहीं (होती तो यूँ फरवरी 2016 वाला 35 बनाम 1 होता क्या आप पे?) और गाम-खेड़ों से तो खुद ही छिंटके बैठे हो|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
No comments:
Post a Comment