Tuesday, 2 March 2021

क्या मुस्लिमों में भी खाप होती हैं?

हाँ, होती हैं:
1) कुशवाहा खाप, हेडक्वार्टर गाम जौला, जिला मुज़फ्फरनगर के प्रधान चौधरी गुलाम मुहम्मद जौला जी हैं| यह वही जौला जी हैं जिनको 28 जनवरी को राकेश टिकैत जी की कॉल हुई तो दूसरी तरफ चौधरी नरेश टिकैत ने 29 जनवरी की मुज़फ्फरनगर किसान महापंचायत के लिए इनको भी बुलावा भेजा व् चौधरी जौला साहब उस महापंचायत में पहुंचे भी| इस खाप की ख़ास बात यह है कि इसके अंतर्गत आने वाले 24 गांव में, 22 गाम हिन्दुओं के हैं|
2) लाडो-सराय, लाठ-महरौली खाप का थाम्बा है; जिसके थांबेदार चौधरी मुस्लिम हैं| लाठ-महरौली खाप के चौधरियों को लाट-साहब कहा जाता रहा है; वही लाट-साहब शब्द जो बॉलीवुड फिल्मों में 60 के दशक से ले 90 के दशक तक प्रचुर मात्रा में प्रयोग होता आया है|
3) मेवात में तो जितनी भी खापें हैं, लगभग सब के चौधरी मुस्लिम हैं|
इधर सिखों में मिसलें जो हैं यह वही खाप हैं जो गुरु नानक देव जी ने जब सिख धर्म बनाया तो मिसल कहलाई| थोड़ा बहुत प्रारूप अलग कहा जा सकता है, परन्तु हैं दोनों एक दूसरे का समरूप ही|
इसलिए खाप किसी धर्म-जाति में बंधा हुआ कांसेप्ट नहीं है अपितु उत्तर-पश्चिमी भारत के उदारवादी जमींदारों का खालिस मानवता आधारित ऐसा सोशल इंजीनियरिंग सिस्टम है जो समाज में सोशल सिक्योरिटी व् सोशल जस्टिस सुनिश्चित करता आया है|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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