Wednesday, 3 March 2021

खुद आतंकवाद की जड़ अलगाववाद पालते हो और खुद ही अलगाववादी व् आतंकवादियों से डरते हो; यार गज़ब घंटाल हो तुम!

अलगाववाद व् अलगाववादी से नफरत करते हो ना?

अलगाववाद को ही आतंकवाद की जड़ मानते हो ना?
आओ तुम्हें धर्म का चोला ओढ़ तुम्हारे ही बीच घुसे हुए सबसे बड़े व् भयंकर अलगाववादी से मिलवाऊं:
उस अलगाववादी का नाम है फंडी| वह फंडी जो धर्म के नाम पर चार वर्ण बना के खुद को सबसे उच्च प्रचारित कर, खुद को तुम से अलग दिखाता है| वो कितना ईमानदार है, खुद ही बोल देता है सुसरे नीचो ; मैं तुमसे अलग हूँ| मेरे से बराबरी की सोचना भी मत|
और तुम उस खुद को ही तुमसे अलग बताने-चिल्लाने वाले को अपने बीच घुसाए रहते हो?
तो फिर अलगाववाद से क्यों डरते हो? समाज में कोई अन्य अलगाववादी बन जाता है तो उसके विरुद्ध नफरत-भय में क्यों चिंघाड़ते हो? कोई आतंकवादी बन जाता है तो क्यों बवाल काटते हो? जब डंके की चोट पर तुम्हारे बीच रहने वाले फंडी नामक अलगाववादियों से तुम्हें कोई दिक्क्त नहीं, परेशानी नहीं तो औरों से क्यों?
और अलगाववादी व् आतंकवादी से डरते हो तो निकाल बाहर करो इस वर्ण-कुल की श्रेष्ठता के नाम पर तुम्हारे बीच बैठे अलगाववादी को सबसे पहले| यानि जो धर्म-जाति-वर्ण-कुल के आधार पर खुद को तुमसे अलग दिखाए, सर्वश्रेष्ठ दिखाए; उसको ठेंगा दिखाओ, अपने बीच से उठाओ और चलता करो| ऐसा नहीं करना ही तुम्हारी गलती है, नासमझी है, जिस दिन यह ठीक कर ली; उस दिन ना समाज में 35 बनाम 1 रहने, ना इस बनाम उस रहने|

और नहीं तो कम से कम इनसे गुपचुप कन्नी काटना ही शुरू कर लो, सीख लो; इनको "Just avoid them" मोड में डाल छोड़ दो; परन्तु शुरू तो करो कहीं से|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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