Friday, 5 March 2021

कैसा लग रहा है फंडियों को अंगीकार करके, इनके यहाँ अपनी "peace of mind" गिरवी रख के?

लेख का निचोड़: सामाजिक दंड से समाज को अनुशासित रखने वाले, रोजगार की धमकियां दे के समाज को काबू रखने वाले वर्णवादी फंडियों के हत्थे चढ़े हुए हैं|

बावजूद इसके चढ़े हुए हैं कि ना आपस में कल्चर मिलता, ना लाइफ स्टाइल मिलता, ना जिंदगी की फिलॉसोफी मिलती| खुद की KINSHIP रखने की आदत जो नहीं रखी, इसलिए रिफले हुओं को कोई भी फंडी जिस पटे पे चढ़ा जाता है उसी पे चढ़ के पिसे जा रहे हैं| वरना जरा बताओ इस तथ्य बारे:
एक तरफ: समाज को अनुशासित रखने हेतु गलती करने वाले को उसकी गलती की गंभीरता के हिसाब से social security and justice system (a worldwide phenomena, in India it had/s been practiced by yours ancestors/elders only) की सोशल पंचायतों के जरिये हुक्का-पानी बंद करने का विधान वाला वो उदारवादी सिस्टम जिसने सजा के तौर पर कभी किसी को उसके खेत-घर-रोजगार आदि छीनने की सजा नहीं सुनाई; इतनी मानवता हर फैसले में दिखाई| इसीलिए इनकी सामाजिक खाप पंचायत बारे कहा गया है कि, "अकेले-दुकेले चौधरी के फँसियों मत, इनकी पंचायत से डरियो मत"; यानि नियमानुसार बुलाई गई इनकी पंचायत में कभी अन्याय नहीं हो सकता|
दूसरी तरफ: वर्णवादी फंडियों का समाज को काबू (अनुशासित रखने की काबिलियत नहीं होती इनमें) रखने का क्या तरीका है? इनकी सजा में सजा पाने वाले को जुर्म का पता भी नहीं होता, परन्तु नौकरी हर किसी को हर पल खतरे में नजर आती है| नौकरी की तन्खा में से इनकम टैक्स के अलावा इतना चंदा महीने का फिक्स है, कभी इस काम में दो तो कभी उसमें; मर्जी से दो अन्यथा धक्के से लेंगे| पुलिस-सीआरपीएफ समेत सरकारी कर्मचारियों की पेंशन खत्म| DA/TA/PF सब में कटौती| सरकारी अथवा सामुदायिक सहकारी आदि सिस्टम में यकीन ही नहीं इनका, सब प्राइवेट चाहिए; इसीलिए तो सब खत्म करते जा रहे हैं| और इनकी सामाजिक पंचायत आरएसएस तक में जाने की हिम्मत नहीं किसी की कि जा के शिकायत ही कर सके| या है, चुस्क भी पा रहे हो?
आ रही है ना, "फलां चला, फलां की चाल; अपनी ही चाल भूल बैठा" वाली फीलिंग? कैसा लग रहा है इन फंडियों को अंगीकार करके, इनके यहाँ अपनी "peace of mind गिरवी रख के"? समझ लो यार, और कैसे समझाऊं? अपनी KINSHIP संभाल लो, सीधा सा एक ही सलूशन है| धैर्य की प्रैक्टिस करो, अपने पुरखों का स्मरण करो; हर भय-क्लेश-द्वेष-संशय जाते रहेंगे|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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