किस्सा नंबर 1: "लजवाने वे तुवाडा नाश जावीं, तैनू वड्डे पुत्त खपाए"
यह कहावत पटियाला-नाभा रियासतों में तब चली थी जब जिंद रियासत का "सर्वखाप बनाम अंग्रेज" लजवाना कांड हुआ था| दलाल खाप ने लड़ाई शुरू की, गठवाला खाप ने मुंहअंधेरे झोटे पे गुड़ के कड़ाहे बाँध उनके नीचे छुपा छह महीने तक गोला-बारूद व् रशद पहुँचाई| अंत परिणाम यह हुआ कि जिंद महाराज को अपनी राजधानी जिंद से संगरूर स्थान्तरित करनी पड़ी|
किस्सा नंबर 2: जिंद रियासत का एक और गाम है धनाणा, जो आज के दिन जिला भिवानी में लगता है; मेरा नानका, जाटू खाप 84 का हेडक्वार्टर, ऐसी खाप जो अपनी तौब रखती थी; आज भी बंगला धनाना में रखी है| उसपे कहावत चलती है कि
"हरयाणे के बीच म्ह, एक बसै गाम धनाना,
सूही साधे पागड़ी, यौद्धेयों का बाणा!
नौ-सो नेजे भकडते, घुड़ियन का हिनहिनाणा,
तुरई-टामक बाजते, बुर्जों के दरमियाणां!
बापौड़ा मत जाणियों, है यु गाम धनाणा|"
अंग्रेज कभी इस गाम से टैक्स नहीं उगाह पाए, जबकि साथ लगते जनरल वीके सिंह के गाम बापौड़ा से उगाह लेते थे|
किस्सा नंबर 3: आज का जिला चरखी-दादरी, उस वक्त जिंद रियासत का हिस्सा होता था| सांगवान व् फौगाट खापों के गुस्से से अंग्रेजों को यहाँ भी 2-4 होना पड़ता था|
ये आज के राजनेता जरा इतिहास को भान में रख के बरतेवा करें अपनी जनता से| तुम ताकत पा के फ़ौराते होंगे, सर्वखाप वाले वो हैं जो अपनी आई में "धरती पर सूरज जिनके राज में नहीं छुपते" की कहावतों वाले अंग्रेजों तक को नहीं गोळा करते व् झुका लिया करते थे| ये अपनी 52 बुद्धियाँ अपने तक रखो, क्योंकि सर्वखाप 56 बुद्धि हैं; वह बात अलग है कि यह 4 बुद्धियों का इस्तेमाल करते सिर्फ एक्सेप्शनल अवस्था में हैं; तो यह अवस्था ना आने पाए|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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