किसान नेताओं पर अब यह धर्म व् धर्मगुरुओं का इमोशनल ट्रैप फिंकवाने का पैंतरा चलने की ताक में रहेंगे; खासकर तथाकथित धर्म की अफीम सूंघे हुए, पीछे बीजेपी को वोट कर चुके व् संघी बैकग्राउंड के नेताओं के जरिए| ठोड्डी पकड़ते हुए, सत्यार्थ प्रकाश वाले "जाट जी" की स्तुति वाले ग्यारहवें सम्मुलास की भांति कहेंगे कि, "अगर सब संसार जाट जी जैसा मानवीय हो जाए तो संसार से पाखंडलीला खत्म हो जाए व् पंडे भूखे मर जाएँ"| अबकी ऐसी कोई बात आवे तो इनको बोलना कि "हम कौन होते हैं आपको खत्म करने वाले, "गीता ज्ञान" की घूंटी पियो-पढ़ो और कर्म करो; कर्म करने से कौन भूखा मरा भला"? तुम ही कहते हो ना कि "कर्म किए जा फल की चिंता ना कर रे इंसान, जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान; ये है गीता का ज्ञान"? तो लागू करो इसको पहले खुद पे|
अपने कल्चर के मूल्यांकन का अधिकार दूसरों को मत लेने दो अर्थात अपने आईडिया, अपनी सभ्यता और अपने कल्चर के खसम बनो, जमाई नहीं!
Sunday, 2 May 2021
2 मई के चुनाव नतीजों के बाद, किसानों पर ट्राई होगा धर्म की अफीम का इमोशनल कार्ड!
और अगर कोई तुमको रघुवंशी या चंद्रवंशी बता के राम या कृष्ण की दुहाई देता आवे और किसान आंदोलन में कोई ऐसी दुहाई रखे कि, "एक कदम तुम पीछे हट लो, एक कदम सरकार हट लेगी" तो कहना कि आर्य-समाज के सत्यार्थ प्रकाश में ही इसके बारहवें सम्मुल्लास में रामायण व् महाभारत दोनों को ब्राह्मण मूल शंकर तिवारी उर्फ़ महर्षि दयानन्द बोगस-गपोड़ कथाएं बता के गए हैं तो उसके हिसाब से तो आपके यह दावे बोगस हुए?
और इन सबसे भी बड़ा लॉजिक: भाई जब कुछ हमारी जेब में छोड़ेगा यह 90 साल लगा के तुम लोगों का ही खड़ा किया विश्वगुरु यानि मोदी, तभी तो तुम पंडे-पुजारियों के पेट पालने लायक भी कुछ कर पाएंगे, हम? अब पिछले 5 महीने से बैठे हैं सड़कों-बॉर्डरों पर, तुमने तो 99% ने आ के आज तक ज्यात भी ना पूछी म्हारी? तो आज क्यों हिया निकला जाता है तुम्हारा?
तुम चिंता ना करो, यह तुम्हारे भी पेट पालने की लड़ाई है और शर्म बची हो कुछ तो हमारे साथ लगो अन्यथा हमें हमारे हाल पे छोड़ दो यानि हमारा पैंडा छोड़ दो| क्योंकि तुम्हें चिंता होगी तुम्हारे पेट-मात्र की, जैसे कि ऊपर कही; परन्तु हमें चिंता सिर्फ पेट की नहीं, फसल-नश्ल के साथ-साथ मानवता व् देश बिकने से बचाने की भी है| चिंता ना करो, धुर्र पुरखों के बख्तों से तुम्हारी "दो जून की रोटी व् साल का दो जोड़ी कपड़ा" यह कृषक समाज पुगाता आया व् पुगाता रहेगा बशर्ते हमें हमारे इस ब्योंत को कायम रखने की इस लड़ाई में साथ दो म्हारा ना कि इमोशनल ट्रैप खेलो हम पे|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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