Friday, 7 May 2021

आईए फंडियों की एक और केटेगरी बारे जान लेते हैं!

जातिवाद-वर्णवाद में अंधे कैसे हुआ जाता है इसकी एक बानगी देखनी है तो आज के अखबारों में कल चौधरी अजीत सिंह के निर्वाण पर हुई कवरेज देखिएगा| नोट कीजियेगा कि कितने अखबारों ने उनको सिर्फ किसान नेता लिखा और कितनों ने जाट नेता लिखा| साथ ही इन सब लिखने वालों के उपनाम भी नोट कीजिएगा| गारंटी देता हूँ सिर्फ "जाट नेता" कह के पूरा लेख लिखने वाले तमाम फंडी मिलेंगे| और यह वही मिलेंगे जो कभी इनकी बिरादरी से आने वाले किसी नेता के नाम के आगे-पीछे उसकी जाति-वर्ण कभी नहीं लिखते| उदाहरण के तौर पर कुछ कटिंग्स सलंगित भी किए दे रहा हूँ| इनको फर्क नहीं पड़ता कि तुम कितने महान बने, शहरी रहते हुए बने या ग्रामीण, अक्षरी ज्ञान वाली डिग्रियां होते हुए बने या जिंदगी के तजुर्बे वाली विद्वानी से; इनके लिए अगर तुम इनकी बिरादरी के नहीं हो तो सिर्फ तुम्हारी जाति के नेता और इन वाली के हो तो सर्वसमाज के नेता| 


यह मत समझिएगा कि वर्ण-जाति-आडंबर-पाखंड फैलाने वाला ही फंडी है; यह अखबार वाले फंडी "वर्ण-जाति-आडंबर-पाखंड फैलाने" वालों के भी फूफा होते हैं| 

 

जय यौद्धेय! - फूल मलिक 









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