Wednesday, 16 June 2021

महिला शिक्षा-सुधारक महर्षि रत्नदेव मलिक!

 अभी विगत 14 जून को स्वामी रत्नदेव का जन्मदिन था; सन 2012 में उनकी याद में लिखी मेरी यह हरयाणवी कविता मिल गई:

 

"महिला शिक्षा-सुधारक महर्षि रत्नदेव मलिक"


याणेपन का ध्यानी पुरुष, अनुशासित-स्वाभिमानी पुरुष,

लिए जोग-योग की शक्ति, अवतारया न्यडाणे की धरती|


१) बाबू नै रमाणा चाहया, पर रंग और चढ़ ना पाया,

जातक, जन्नत की जीत म, जोग लिखाएं आया नसीब म|

ज्यूँ-ज्यूँ कद चढता आया, सांसारिक मोह छंटता आया,

बैठ बणां तड़के की पहरी, ध्यान शक्ति तैं सिद्धि सोहरी||


२) घर आळयां नैं अरमान संजोये, सुथरी बहु जग में टोहे,

पर भगत रत्न की राह न्यारी, ग्रहस्थी बणी दुनियां सारी|

ल्य्कड़ पड़या ज्ञान की सगत म, लिए नारी-शिक्षा की अलख जगत म,

खरळ की धरती पै जा डेरा लाया, गाम-गुवांड कै मन-भाया|


३) तीन दशक तक अलख जगाया, नारी जागरूक करूँ यो प्रणायां,

बांगर के खरळ अर कुम्भाखेड़ा को नारी-शिक्षा के धाम बनाया|

चलते-चलते इस राह पै एक दयन, न्यडाणा नगरी दई दखाई,

मेरे लाल नै दुनिया सुधारी, फेरे मेरे तैं-ए-क्यूँ सुरती हटाई?


४) सिद्ध-जोग सिद्ध-पुरुष बण, महर्षि रतनदेव दुनियां म छाया,

दादा नगर खेड़े का कर्जा पुगावण, भौड़ कें लाल बड़े बीर की नगरी आया|

न्यडाणा नैं सुधारूं, नशा-खोरी नै जड़ तैं पाडूँ, गाम को न्यूं फ़रमाया,

बणा कें दस्ता गाभरूओं का, पहरा बिठा दिया नशा-दान्नों का||


५) गैल अभियान छेड़या नारी-शिक्षा का, गुरुकुल बनाऊं उत्तम-दीक्षा का,

गाम-खेड़ा भी गैल कूद पड़या, अपणे लाल की ताल-पै-दे-ताल मल्या|

गाम के जमींदारां नैं धन-दान दिए, कन्या-गुरुकुल की नीम म्ह बढ़-चढ़ कें दिए,

आर्य-समाज के प्रचार हुए, दिन-रात जगे के ठाण हुए||


६) शिक्षा का प्रचार हुआ, चूची-बच्चा सरोकार हुया, 

अगड़-बगड़ तैं ले शोर सरकारों लग गया|

एक रूप दादा रत्नदेव आपका, कई जूण सुधार गया,

गा तेरी गाथा हो दादा, पेरिस आळा फुल्ले-भगत भी पार हुया||


लेख्क्क: फूल कुंवार म्यलक (फूल मलिक)

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