Friday, 27 August 2021

शामलाती-पंचायती जमीनें पुरखों ने अडानी-अम्बानी को देने के लिए नहीं छोड़ी थी!

अपितु गांव के साझले कामों के लिए छोड़ी थी| अन्यथा इतने ही भूखे व् स्वार्थी होते तो वह पुरखे लाल-डोरे से बिलकुल सटा के खेत काट लेते|


यह छोड़ी गईं थी गोरों पे पशु खड़े करने; गड़रियों की भेड़-बकरियां चर सकें टहल सकें इसलिए बणी छोड़ी गई व् गाम के चारों तरफ हरियाली बनी रहे इसीलिए छोड़ी गई; खलिहान डालने के लिए जमीनें छोड़ी गई, कुम्हारों के आक व् कच्चे भट्ठे लगाने व् चाक के लिए कच्ची मिट्टियाँ उपलब्ध रहें उसके लिए छोड़ी गई, गाम में अपने कल्चर-कौम की 36 बिरादरी का कोई नया जनसमूह बसने आवे तो उसको बसाया जा सके उसके लिए छोड़ी; साझले कुँए-जोहड़ तालाबों के लिए छोड़ी गई|

अत: कल जो हरयाणा विधानसभा में यह कानून पास हुआ है जिसमें यह सरकार बड़ी बेशर्मी से यह कह रही है कि किसानों की जमीनें नहीं ले रहे; परन्तु गामों के साझले कामों में काम आने वाली यह सारी जमीनें तो हड़पने जा रहे हो ना इस कानून के जरिए?

ऐसे में हर गाम की ग्राम-सभा को साझी सहमति से प्रस्ताव पास कर पंचायत सेक्रेटरियों, पटवारियों आदि को ऊपर पहले पहरे में लिखित कारण देते हुए; कुछ नए कारण जैसे कि हम यहाँ बच्चों-महिलाओं के पार्क बनाएंगे, आर्गेनिक फल-सब्जी के पार्क बनाएंगे आदि बोल के सारी शामलात पड़ी जमीनों को अपने गाम के इन कामों के नाम से बुक कर लेना चाहिए, वरना यह बेशर्म पता नहीं किस टाइप के लोगों तो इनपे बसायेंगे व् कैसी योजनाएं यहाँ लगाएंगे| उद्देशय सिर्फ और सिर्फ इन सारी पंचायती जमीनों को हड़पने का है| आपके पुरखों के बनाए इतने सुंदर इको व् पर्यावरण सिस्टम को ध्वस्त करने का है|

इसमें हो सके तो तमाम किसान यूनियनें व् खापें भी गाम-गाम जागरूकता अभियान चलावें; वरना सब बर्बाद कर देगी यह फंडियों-फलहरियों की सरकार| यह बड़ा आसान तरीका निकाला कि किसान तो जमीनें नहीं देवें या विरोध झेलना होगा; इसलिए चुपचाप गामों की यह खाली पड़ी शामलातें बाँट तो अडाणी-अम्बानी को इस नए कानून का सहारा ले कर| वाह रे फंडियों, थारे कंधे से ऊपर की मजबूती के काइयाँपन के कारनामे!

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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