Wednesday, 29 September 2021

जाटां की मरोड़ लिकड़नी चाहिए, फेर म्हारी बेशक घस्स लिकड़ ज्याओ!

90% लोग तो किसान आंदोलन से फंडियों ने बस इस लाइन के पटे पे चढ़ा के रोक रखे हैं| और इनको पता है कि घस्स लिकड़ने से भी आगे की तसल्ली फंडी बैठा चुके इनकी, परन्तु मानसिक पिछड़ेपन व् दूसरे के कमाए पे बदनीयत का आलम यह है कि यह घस्स तो क्या गस खा के गिर भी जायेंगे तो भी यही कुकाएँगे, कि म्हारी चाहे दोनों आँख फोड़ दो, पर जाटों की एक जरूर फूटनी चाहिए|
ऐसे ही इनके फंडियों का पकड़ाया 35 बनाम 1 भी आज लग समझ नहीं आ लिया| ये सोचें हैं कि इसके जरिये फंडी इनको कीमें घणा बड्डा न्याय दिलवा रहे हैं जबकि इनको पता ही नहीं कि फंडी इसके जरिए धर्म की मार्किट (डेरे-मठ-मंदिर-आर्य समाज) से जाट को बाहर कर, इस मार्किट में साउथ इंडिया की तरह अपनी मोनोपॉली स्थापित करना चाहते हैं; वही साउथ इंडिया वाली मोनोपॉली जिसमें देवदासी कल्चर पलता है व् समाज के सबसे पिछड़े तबके की बेटियों का फंडी इनमें सामूहिक तौर पर शोषण करते हैं|
मतलब इनको आईडिया ही नहीं है कि थम चारों तरफ से कुचले (आर्थिक-आध्यात्मिक-सामाजिक-कल्चरली) जा रहे हो; जाट का औढ़ा ले के| जाट तो इनकी झलों से बच भी जाएंगे, आप वक्त रहते सोच लो अन्यथा घस्स लिकड़नी व् देवदासी कल्चर दोनों का जाल घिरा आ रहा आप लोगों पर|
यह बात भक्त जाट भी समझ लें वक्त रहते, नहीं तो जड़ तुम्हारी भी पट्टी जानी हैं फंडियों द्वारा|
जय यौधेय! - फूल मलिक

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