Monday, 4 April 2022

लोकल लेवल पे वोकल हो जाओ, अगर 35 बनाम 1 को फंडी बनाम नॉन-फंडी में तब्दील चाहो!

समस्या कितनी बड़ी खड़ी कर दी है फंडी ने आपके आगे यह तो देख ही रहे होंगे; वह भी स्वधर्मी होते हुए? तुम किसी के इतने बड़े भी दोषी नहीं हो, जितना बड़ा बना के फंडी ने तुम्हें परोस दिया है| तुम्हारी कौम-कल्चर-किनशिप को राह चलती उस बेचारी अकेली लाचार लड़की की तरह बना डाला है, जिसपे गुंडे किसी भी वक्त टूट पड़ते हों व् बच के निकल भी जाते हो? कब तक होने दोगे यह खुद के साथ? 


इसका इलाज ज्यादा मुश्किल नहीं है, गाम-कस्बे के हर उस भाई को जिसको फंडी अछूत-पिछड़ा-शूद्र की श्रेणी में रखता है व् दूसरी तरफ उसको 1 के खिलाफ भी भड़का के रखता है (उसी एक के खिलाफ, जिसको मुंह पे यही फंडी जजमान-जजमान करता नहीं अघाता) उसको यह फंडी इन्हीं अछूत-पिछड़ों बारे क्या सोच रखता है उससे सिर्फ रूबरू मत करवाओ; बल्कि इस सोच को खत्म करने हेतु फंडी की भाषा वाले (हमारी भाषा में तो वह हमारे सीरी-साझी हैं) अछूत-पिछड़े के कानों में फूंकें फंडी के जहर को साफ़ करते चलो, अपने-अपने गाम-कस्बे-शहर की जिम्मेदारी लेते हुए, फिर देखो चीजें कैसे 180° पलटती जाएंगी| वरना यूँ ही हाथ-पे-हाथ धरे बैठे रहे तो फंडी अछूत-पिछड़े को तो मार ही रहा है, मार तुम्हें भी रहा है|

ऐसे ही चलता रहा तो, ना तुम्हें नेता बनने लायक छोड़ेंगे ना पंचायती| वक्त है, सम्भल के सर जोड़ लो व् इस फंडी को पहले झटके तोड़ लो| फंडी, भांप के धधकते उस बुलबुले की तरह होता है, जो सतह पर आते ही फुस्स और वह सतह है तुम्हारा सरजोड़|

जब तक फंडी को उसी की स्याणपत यानि polarisation (35 बनाम 1) व् manipulation (यानि मुंह पे कुछ, पीठ पीछे कुछ) से नहीं मारोगे; भूल जाओ पुरखों वाली बुलंदी के आसपास भी फटक सकोगे| और यह काम तुम फंडी से न्यूनतम 10 गुणा आसानी से कर सकते हो, अगर करने पर आओ तो| इस खामखा के idealism व् घणा मीठा बनने की राह से उल्टा हटना होगा; वरना तब तक तुम में से न कोई ढंग का नेता निकलेगा ना कोई पंचायती; तुम्हारे पुरखों के ऐवज में इंटरनेशनल, नेशनल व् स्टेट तो छोड़ो; जिला लेवल तक कोई निकल जाए तो कहना|  

बस इतनी सी करेक्शन कर लो: आपस में बंद कमरों में सरजोड़ के, अपनी "जियो और जीने दो" की नीति में इतना डाल लो कि "जियो और जीने दो परन्तु जो तुम्हें ना जीने दे, उसको बिखेर के रखो"; क्योंकि फंडी की थ्योरी "जियो व् परन्तु दूसरों को भिड़ा के रखो" इसी तरह काबू आ सकती है; दूसरा अन्य कोई रास्ता नहीं| आज अपना लो, या 5-10 साल थपेड़े खा के सरजोड़ के अपना लेना| 

जय यौधेय! - फूल मलिक 

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