Friday, 1 April 2022

साइलेंस में बहुत ताकत होती है - matter of Chandigadh!

 राजनीति में बैठे घाघों के कोई भी मुद्दा उछालते ही, उसको उड़ते तीर की तरह नहीं लेना चाहिए| इन्होनें चंडीगढ़ बोला और आपने सोशल मीडिया पर झड़ी लगा दी| स्पष्ट राय अपनों को दो, दुनिया को नहीं; क्योंकि दुनिया में फंडी भी हैं| यह आपकी रिएक्शन के आधार पर मिनट में अगला स्टेप निर्धारित कर लेते हैं व् आपको ऐसे ही अगले-से-अलगे स्टेप की पिच पे खिलाते चले जाते हैं| जबकि आप भ्रम में रहते हो कि मैंने पब्लिकली बोल के समाज को चेता दिया, अपना फर्ज निभा दिया| यूं निभाए फर्ज, गली में भोंकते कुत्ते से ज्यादा कोई अहमियत व् असर नहीं रखते होते| 


13 महीने किसान आंदोलन लगा के, दोनों स्टेटस ने जो आपसी भाईचारा बनाया, क्या उसको यूँ एक क्षण में इनकी भेंट चढ़ा दोगे? ऐसे इनके उछाले मुद्दों में कूदने से पहले रत्ती भर भी नहीं सोचना दिखाता है कि आपकी उस 13 महीने लगा के बनाए भाईचारे को बचाये रखने के प्रति कितनी एकाग्रता है| 


यह नेता तो चंडीगढ़ बनते ही इसको मुद्दा बनाते आ रहे यहीं, परन्तु निकला क्या और क्या निकालोगे? इससे अच्छा हाईकोर्ट की भांति राजनधानी के भी रीजनल सेंटर्स मांग लो, टंटा खत्म| नेताओं को भी पता लगे कि जनता क्या चाहती है व् क्यों अब तुम्हारी बनाई पिचों पर नहीं खेलेगी| इनको आपकी बिछाई पिच दो, तब बात बनेगी| 


वैसे भी फंडी अब इस पर काम कर रहे हैं कि दोबारा ऐसा किसान आंदोलन फिर ना हो तो उसके लिए क्या किया जाए? और यह चंडीगढ़ का राग उसी की एक स्ट्रेटेजी है, आपकी एकता को तोड़ने की| आपकी आपसी समझ व् तालमेल खत्म करने की| ऊपर से आगे 2024 में इनको फिर सरकार चाहिए, जिसके लिए आपकी एकता व् समझ फिर से खतरा इनके लिए| इन बातों को समझ के ही सोशल मीडिया पर लिखा करो| 


कुछ सौदा ना है इन फंडियों का, अगर आप इनको अपने साइकोलॉजिकल वॉर गेम में उलझाने हेतु लिखने लगो तो| कोई दिमाग भी नहीं है इनमें और ना बुद्धि है; बस यह सर्वाइव ही आपकी ऐसी जल्दबाजी पर करते हैं, जैसे पिछले दो दिन से चंडीगढ़ वाले मुद्दे पर मचाते हो| 


थोड़ा ठहरो, सोचो व् चुप रह के चिंतन करके ही आगे बढ़ो; यह सब मलियामेट होते जायेंगे| 


जय यौधेय! - फूल मलिक 

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