पड़ा हो आज तक के इतिहास में तो बताओ? हाँ, वह ब्रह्मा-विष्णुओं के बिगाड़े हालातों को ठीक करने बारे जरूर तांडव करता आया है जब भी किया है| उदाहरणार्थ 2020-21 में 13 महीने चला किसान-आंदोलन|
इसलिए हे रिपब्लिक भारत के अर्णव गोस्वामी, तुम यह जो ताजमहल को तेजा जी से व् तेजा जी को शिवजी से जोड़ के जो काम तथाकथित छतरी व् छतरियों को 21 बार मारने वालों से नहीं करवा के जाटों से करवाना चाहते हो, ऐसा है तुम्हारा यह षड्यंत्र जाटों के बालकों ने सोशल मीडिया पर ही धराशायी कर दिया है| आजकल जो ज्ञान व् अक्ल तुम लगाते हो उसको तो जाटों के बालक ही गेल-की-गेल निबटा दे रहे हैं|
कौन कहता है कि वैचारिक लड़ाईयां असर नहीं छोड़ती? हालाँकि अर्णव गोस्वामी जैसे इसको एक जाति पर ला कर छोड़ने की सोचते हैं; परन्तु हमारे जैसे साथियों ने जो पिछले 7 साल से ऑफिसियल तौर पर यूनियनिस्ट मिशन के जरिए व् उससे पहले 2006 से 2015 तक अनऑफिशियल तरीकों से सोशल मीडिया से ले ग्राउंड पर फंडियों की बुद्धि की औकात व् बिसात जो सर छोटूराम स्टाइल में पकड़ाई है अपने लोगों को; यह उसी का असर है कि अब जाट समाज के बालक ब्रह्मे-विष्णुओं की चालों में नहीं पड़ते| बल्कि असली शिवजी उर्फ़ स्केण्डेनेविया वाले दादा ओडिन जी महाराज की भांति बन के, तीसरी आँख खोल के चीजों का अवलोकन कर चलने लगे हैं|
और इस पर इनको अपनी किनशिप पकड़ाने वाली अगले स्तर की "खाप-खेड़ा-खेत" मुहीम जो चली है वह तो धीरे-धीरे तुम्हें ऐसा घर बैठायेगी कि बस तुम देखने के अलावा शायद ही कुछ कर पाओगे| जो कि एक बहुत ही सुखद बदलाव है जाट समाज में, वह भी सही वक्त व् सही हिसाब से|
अब इस समाज को फॉर-गारंटीड लेना छोड़ के; देश के हित के कामों में ध्यान लगाओ, रिपब्लिक आर टीवी वालो|
उद्घोषणा: लेखक माइथोलॉजी को नहीं मानता; परन्तु इसका मतलब यह भी नहीं कि माइथोलॉजी नहीं जानता| जब-जब फंडी माइथोलॉजी के हथियार से समाज में उतरेगा, उसको उसी के माकूल तर्क व् जवाब मिलेंगे|
जय यौधेय! - फूल मलिक
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