श्रीलंका में विद्रोह इसलिए हो गया क्योंकि वहां जिस मेजोरिटी को बहकाया गया था वह बुद्ध धर्म की थी; जो कि इंसानों को आंतरिक तौर से मजबूत, एक व् समान बनाता है; मानसिक तौर पर तोड़ कर मानसिक गुलाम नहीं बनाता| अत: उनका मानसिक बल बचा हुआ था तो जब हद हुई व् स्थिति समझ आई तो कर दी क्रांति|
तुम्हारे यहाँ भूल जाओ यह इतनी जल्दी होना, क्योंकि तुम जिसको संस्कृति-कल्चर-धर्म के नाम पे ढोने लगे हो, ओढ़े टूल रहे हो; वह शुरू ही तुम्हें आंतरिक मानसिक तौर से डरपोक, दब्बू, बिखरे हुए बनाने से होता है| हाँ, थारे में एक ऐसी कौम, कल्चर व् किनशिप जरूर है जो यह विद्रोह कर सकती है और वह है जिसने 13 महीने किसान आंदोलन करवाया| वह खड़े हो गए तो हो गए वरना भ्रम में मत घूमो कि कोई श्रीलंका टाइप क्रांति होगी यहाँ|
और इसी का आरएसएस व् बीजेपी को सबसे ज्यादा डर है; इसलिए इन्हीं के इर्दगिर्द ध्यान रख के कभी 35 बनाम 1 रचती है तो कभी ताजमहल व् आगरा इनको देने को फिरती है| और एक और पोस्ट चला रखी है कि बीजेपी-आरएसएस सनातन नहीं, इनसे बेशक नफरत करो परन्तु सनातन मत छोड़ना| असली भर्मित करने वाली व् भिग्न की जड़ यही नैरेटिव तो है| इनको पता है कि इंडिया में सबसे ज्यादा न्यायायिक चरित्र, सबको इंसान समझना के ट्रेट्स इनमें ही सबसे ज्यादा होते हैं, इनके यह ट्रेट्स जाग गए तो लग गई तुम्हारी लंका|
शूद्र क्या है व् स्वर्ण क्या है? शूद्र वह इंसान होता है जिसको मानसिक तौर पर उनकी किनशिप-कल्चर से तोड़कर अपनी कहबत का बना लिया जाए| व् स्वर्ण इनके अनुसार वह होता है जो खुद को छोड़ बाकी समाज को अधिक से अधिक शूद्र बनाता जाए| और वह तुम बनने पे लगे हुए हो, पिछले 2-4 दशक से तो खासकर; जबसे अपने पुरखों की देवता की छवि वाली कल्चर-किनशिप से उल्टे हटे हो तुम शूद्र ही बनते जा रहे हो|
जय यौधेय! - फूल मलिक
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