यह इधर-उधर से आयातित कल्चर-किनशिप के चक्कर में अपनी "कॉपीराइट कल्चर-किनशिप" से मुंह मोड़ना आपको उसी तरह बर्बाद कर देगा, जैसे नेचुरल रिसोर्सेज के मामले में रूस वालों पर यूरोप की निर्भरता| जब तक सब सही चलता है तो सही और जब बिगड़ती है तो ऐसे ही "मुंह-बाएं खड़े लखाओ" ज्युकर नेचुरल गैस के लिए पूर्वी-उत्तरी यूरोप बंध सा गया है| इनका प्लान रूस को बड़ा सबक सिखाने का था, परन्तु नेचुरल रिसोर्सेज की इनकी रूस पर निर्भरता ने सब सिमित कर दिया| यही मामला "नेचुरल कॉपीराइट कल्चर-किनशिप" से निकलता होता है और आपके लिए वह है "खाप-खेड़ा-खेत"| यह जो खुद के साथ-साथ इतने प्रवासियों (विश्व में सबसे ज्यादा प्रवासी रहता है खापलैंड में) को भी पाल पा रहे हो यह किसी अन्तर्यामी, माया या चमत्कार की वजह से नहीं है अपितु आपकी कॉपीराइट कल्चर यानि "खाप-खेड़ा-खेत" से है| उधार के कल्चर्स के रंग-रस भी लो परन्तु अपने कॉपीराइट कल्चर को पहले कस लो|
जय यौधेय! - फूल मलिक
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