शीर्षक: " हे जी कोए यौधेय सुणे भ्यर-भाण"
खेड़्यां के जाए, भूमियां के साए, हे भईयाँ की यें पिछाण,
हे जी कोए यौधेय सुणे भ्यर-भाण!
भूरा-निंघाहिया जोड़ सर चाल्ले, जा चढ़ें परस लजवाण!
हे जी कोए चौधरी सुणे भ्यर-भाण!
हाकम तोड़े, गौरे फोड़े, भोळी नैं काटे सत्रहा रंगरूटाण!
हे जी कोए यौधेया सुणी भ्यर-भाण!
खेती-करां की राड़ छयड़ी, जय्ब थे औरंगजेब के राज!
हे जी कोए यौधेय सुणे भ्यर-भाण!
ताऊ माडू नैं ले गॉड गोकुला चढ़े, भंवरकौर खपा गई ज्यान!
हे जी कोए यौधेया सुणी भ्यर-भाण!
21 मौजिज गए सुलझेड़े नैं, लिए रोक काळ की आण!
हे जी कोए चौधरी सुणे भ्यर-भाण!
तैमूर आया, चढ़या हड़खाया; दोआब के जंगळ काहन!
हे जी कोए यौधेय सुणे भ्यर-भाण!
हरवीर गुळीया नैं लिया धर खुळीयां, लंगड़े का पाट्या पसाण!
हे जी कोए चौधरी सुणे भ्यर-भाण!
चुगताई आवैं, जींद तळै टकरावैं; भागो देवै पासणे पाड़!
हे जी कोए यौधेया सुणी भ्यर-भाण!
शाहमल बाबा, दिल्ली तैं दोआबा, गौरयां की भिचगी ज्यान!
हे जी कोए यौधेय सुणे भ्यर-भाण!
जाटवान दादा नैं कुतबु साध्या; दई आधी सेना पसार!
हे जी कोए चौधरी सुणे भ्यर-भाण!
रायसाल खोखर नैं गौरी सा होंतर; दिया मार म्हाल अफगान!
हे जी कोए यौधेय सुणे भ्यर-भाण!
खेड़्यां के जाए, भूमियां के साए, हे भईयाँ की यें पिछाण,
हे जी कोए चौधरी सुणे भ्यर-भाण!
फुल्ले जाट करै पुरख याद, बीच बैठक उज़मा उज्यात!
हे जी कोए यौधेय सुणे भ्यर-भाण!
जय यौधेय!
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