मेरे गाँव मुंडका पश्चिमी दिल्ली मे है। दिल्ली के भूतपूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा ( लाकड़ा ) इसी गाँव से है। हमारी लोक बातों मे प्रजातन्त्र का जिक्र है पर राजाओ का कही नहीं है। न अकबर का, न जहांगीर या शाहजहां का, न उनसे पहले कभी किसी हिन्दू राजा का । बस औरंगजेब का जिक्र ज़रूर आता है कि हमने उनके खिलाफ कई विद्रोह किए और बहुत खूनी युद्ध लड़े थे। बचपन मे एनसीईआरटी की किताब मे भी पढ़ा था कि दिल्ली की जाटो ने औरंजेब के खिलाफ कई विद्रोह किए थे। (मेरे ख्याल से सभी जातिया होती थी शामिल क्योंकि खाप व्यवस्था किसी एक जाति की हो ही नहीं सकती , जैसे गुज्जर तो हमेशा साथ रहे हैं, पर इतिहासकार सिर्फ एक ही जाति लिख देते हैं।)
हमारी खाप का नाम है पालम 360 जिसमे आज के दिल्ली के 350 और हरयाणा के कुछ तपे जैसे दलाल (84) और कुछ और आते है। उस समय जब औरंजेब से युद्ध होता था तो खाप सेना जो कि वॉलंटियर से बनती थी उसके द्वारा लड़े युद्धो के बारे मे अक्सर बड़ो से सुनते थे कि फरसे खून मे संधे आते थे। पालम 360 मे अनेकों तपे आते है – जैसे तिहाड 28, बवाना -52, महरौली 96, शाहदरा घोंडा -24, मान 8, राणा 8 , महिपालपुर 12, सुरहेडा 18, अलीपुर 17, कादीपुर 12 एवं अन्य ।
हमसे लगान ज़रूर लेते थे, पर हमारे गांवो के अंदरूनी मामले मे किसी बादशाह की हिम्मत नहीं थी कि हस्तक्षेप करे। औरन्गजेब ने कि और वह असफल रहा – दिल्ली के सभी गाँव हिन्दू रहे। पहाड़ी धीरज गाँव जिसकी जमीन पर लाल किला बना हुआ है, वह भी हिन्दू है। हिन्दू से मेरा मतलब हिन्दुत्व वाले नहीं- प्रजातांत्रिक हिन्दू एक अलग कैटेगरी है जो कि आरएसएस वाले हिन्दुओ से अलग है।
अब आते है कराला 17 के इतिहास पर :
पश्चिमी दिल्ली मे यह एक 17 गांवो की confederation है। कराला गाँव को इसका headship यानि चौधर है। किसी वक्त पर इन 17 गांवो की headship सैयद नांगलोई गाँव को सौप रखी थी। यह गाँव अफगानों का था। अफगानों का मुगलो से 36 का आंकड़ा रहा था। अफगान हथियार बनाने और रखने का काम करते थे। जब भी कोई मुगलो से लड़ाई की चुनौती आती तो यह गाँव हथियार सप्लाइ करता तपे या खाप की सेना को। इसलिए सम्मान के रूप मे इस गाँव को चौधर सौप राखी थी। सैयद नांगलोई गाँव भी बड़ी बेहतरीन तरीके से संचालन का काम कर्ता। पंचायत मे हुक्के पानी और खाने का पूरा इंतजाम करता। 17 गांवो मे चिट्ठी बांटना दुरुस्त करता। पर समय के साथ सैयद गाँव थक गया और आए पंचायत करके मुंडका को headship यानि चौधर सौप दी गयी। काफी समय , शायद एक दो शताब्दी तक यह चौधर मुंडका गाँव के पास रही।
पर एक समय एक दिक्कत आई। डबास गोत्र के दिल्ली मे काफी गाँव है जो पुराने समय मे दहिया खाप के अंतर्गत आते थी। मुंडका के पास डबासो के कई गाँव है। डबास मुंडका के जंगलो मे अतिक्रमण करने लगे । उस समय जंगल गौचर और फॉरेस्ट प्रोड्यूस और अन्य कामो मे बहुत आवश्यक था। ऐसे मे मुंडका गाँव के समर्थन मे कराला गाँव तुरंत मदद करने पहुंचा और इस तरह मुंडका गाँव के जंगल अतिक्रमण से बच पाये।
समय पर मदद करने का एहसान चुकाने के लिए मुंडका गाँव ने मुंडका-17 की चौधराहट कराला गाँव को एक पंचायत करके सौंप दी। कराला गाँव ने यह ज़िम्मेदारी सह सम्मान ली। इस तरह मुंडका -17 से कराला -17 नामकरण हुआ।
इन 17 गांवो कि लिस्ट मे कुछ गाँव इस प्रकार है – मुंडका, नांगलोई, निलोठी, रनहोला, पीरा गढ़ी, मंगोल पुर, सुल्तानपुर, पुंठ कलाँ, किराडी, इत्यादि । By: Diwan Singh Mundka
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