Friday, 28 April 2023

विनेश फोगाट और साक्षी मलिक; सत्रहवीं सदी की खाप यौधेया दादीराणी समाकौर मलिक का प्रतिरूप बन गई हैं!

आज से 403 साल पहले; सन 1620, डबरपुर गाम, सोनीपत (उस वक्त गठवाळा खाप की चौधर इसी गाम में थी) की बेटी दादीराणी समाकौर के आह्वान पर मलिक खाप ने सर्वखाप बुलाई व् फैसला हुआ कि सर्वखाप कलानौर रियासत तोड़ेगी| गढ़ी-टेकणा-मुरादपुर में सर्वखाप ने गढ़ी यानि अंडरग्राउंड-फौजी-बैरक बनाई (खापलैंड में जितने भी गामों के नाम में गढ़ी लगा हुआ है; यह सब सर्वखाप की किसी न किसी लड़ाई के कैंप होने की वजह से गढ़ी कहलाये हैं) वहां से कलानौर का घेरा डाला व् अपनी बेटी के सम्मान व् आवाज पर कलानौर रियासत तोड़ दी गई| 


साक्षी और विनेश की भांति ही दादीराणी समाकौर भी उस रियासत के जुल्मों की पीड़ित नहीं थी बल्कि अन्य समाजों पर वहां हो रहे जुल्मों को देख व् उसकी आंच जब उस तक पहुँचने का उसको पता चला तो उसने ऐसी आवाज उठाई कि तमाम खापें ऊठ खड़ी हुई और कर दिया कलानौर का ऊट-मटीला| 


विनेश व् साक्षी आज उसी रूप में नजर आती हैं व् सर्वखाप के चौधरी भी अपनी बेटियों के साथ अड़-खड़े हुए हैं| यह मामला अब एक नाजीर बनेगा जो ना सिर्फ कुश्ती संघ में अपितु तमाम स्पोर्ट्स से ले कॉर्पोरेट जगत तक में होने वाले यौन-शोषणों के लिए बेटियों-बहनों को लम्बे वक्तों तक प्रेरणा व् हौंसला देने वाला किस्सा बनेगा| 


और यहाँ कुछ गधे के बच्चे, बृजभूषण शरण द्वारा बेटियों के शोषण का "सामंती क्षत्रियों वाले ऐटिटूड वाला गंवार-गान" करने में लगे हैं| बेहूदा पोस्ट्स निकाल रहे हैं कि देखो एक क्षत्री ने 1000 फलाणियों का ये किया वो किया: मतलब क्या जंगलीपन है कि इस बात की बड़ाई गा रहे हैं; दिमाग में वासना भरे यह लोग और इन्हीं को क्षत्रिय कहा गया है| देखना कल को इसी पे इन क्षत्रियों को बार-बार धरती खाली करने के दावे करने वाला स्वघोषित ग्रुप इनको इसपे अध्याय भी लिख के देगा कि देखो तुमने फलानों की बहु-बेटियों का शोषण किया; इसलिए तुम वीर क्षत्रिय हुए कि नहीं? इसीलिए मैं इन जाटों समेत तमाम खाप-खेड़े-खेतों के पिछोके वालों को बार-बार बोलता हूँ कि नहीं हो तुम क्षत्रिय; ना सोच से, ना कर्म से ना जीन्स से| तुम प्रोटोस्टेंट स्वभाव के लोकतान्त्रिक लोग हो, उसको समझो व् जैसे थारे पुरखे अवर्ण रहे; वैसे अवर्ण रहो| 


जय यौधेय! - फूल मलिक

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