Tuesday, 28 November 2023

भामाशाहों के भामाशाह दानवीर सेठ चौधरी छाजूराम लांबा!

टाटा-बिड़ला-छाजूराम - एक वक्त वह था, जब यही तीन देश के सबसे धनाढ्य व्यापारी हुए! आज उनके जन्मदिवस (28 नवंबर 1861) पर इनके जीवन को दर्शाती इस कविता के माध्यम से दादा को नमन:


चौधरी छोटूराम के धर्म पिता तुम, उनके फ़रिश्ता-ए-रोशनाई थे,

भारत के धनाढ्यों की त्रिमूर्ति में, सबसे रौबदार ब्यौपारी थे|

भामाशाहों के भामाशाह दानवीर सेठ आप, रसूखदार शाही थे,

जब उदय हो चले अलखपुरा से, जा छाए आसमान-ए-कलकत्ताई थे||


जी. डी. बिड़ला, लाला लाजपतराय रहे किरायेदार आपके, ऐसे रहनुमाई थे,

कलकत्ते के सबसे बड़े शेयरहोल्डर आप, सब साहूकारों की अगुवाई थे|

सरदार भगत सिंह को मिली पनाह आपके यहाँ, वो खुदा-ए-रहबराई थे,

नेताजी सुभाष को दे आर्थिक सहायता, जर्मनी की राह पहुंचाई थे||


दानवीरता की टंकार हुई ऐसी, कई भामाशाह अकेले में समाईं थे,

बाढ़-अकाल-बीमारी-लाचारी-गरीबी में, दिए जनता बीच दिखाई थे|

लाहौर से कलकत्ता तक, स्कूल-कॉलेजों की दिए लाईन लगाई थे,

कौमी-इतिहास लिखवाया कानूनगो से, गजब आशिक-ए-कौमाई थे||


तेरे जूनून-ए-इंसानी-भलाई का, यह फुल्ले भगत बारम्बार कायल हुआ, 

वो जज्बा हमें भी देता जाइए, जो धार संकट धरती-माँ का दूर किया!

अपना चून, अपना पुन के धोतक, आपने पूरा आलम सहार दिया!

धन कमाओ और अपनी निगरानी में सेवा उठाओ, संदेश खूब बाँट दिया!


जय यौधेय! - फूल मलिक!


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