◆ फ़ैसले में बताया गया है कि जब 370 लागू थी तब भी जम्मू-कश्मीर भारत का अटूट हिस्सा था..या'नि धारा 370 से हिंदुस्तान की एकता और अखंडता को कोई फ़र्क नहीं पड़ता था..ये एक "स्पेशल क़ानून" था जिसके तहत जम्मू-कश्मीर की 'अवाम को कुछ "स्पेशल हक़" दिए गए थे जो अब नहीं है..
1. पंडित नेहरू ने धारा 371 की शुरु'आत गुजरात से की थी..गुजरात के हर 'इलाक़े में हर भारतीय ज़मीन नहीं ख़रीद सकता..धारा 371 महाराष्ट्र, आंध्र, तेलेंगाना में भी लागू है..कुछ राज्यों ने 370/371 जैसे ख़ुद के क़ानून बना रखे हैं..
2. पूरे उत्तरपूर्व/नार्थईस्ट में धारा 371 लागू है..इन 'इलाक़ों में आप ज़मीन नहीं ख़रीद सकते, व्यापार नहीं कर सकते, बाशिंदे नहीं बन सकते..
3. ज़मीन, कारोबार के 'अलावा इन 'इलाक़ों में शादी, संस्कृति, तलाक़, जायदाद की विरासत, इनकम टैक्स के भी अलग क़ानून है जो भारत के दूसरे राज्यों से बिल्कुल अलग है..
◆ नेहरुजी ने केवल धारा 370 ही नहीं धारा 371 भी लगाई थी..और धारा 371 वाले राज्य भी भारत का उतना ही अटूट हिस्सा है जितना 370 वाला जम्मू-कश्मीर..
ज़रा भारत से बाहिर निकल कर एशिया, यूरोप और अमरीका में जाएंगे तो आपको भारत जैसी धारा 370 और 371 की भरमार मिलेगी जिसका फ़ाईदा "राष्ट्रवादी NRI" भी उठाते है..
जम्मू-कश्मीर भारत का अटूट हिस्सा है और अब "परमानेंट आँसू" भी है..फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद केवल आँसू दे सकता है..गाँधी के क़त्ल से पैदा हुए आँसू जम्मू-कश्मीर का सैलाब बन चुके है.. #कृष्णनअय्यर
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