जाटों को सिख गुरुओं ने एक लड़ाकू जाति बनाया?
उत्तर: महमूद ग़ज़नवी के इतिहासकार बेहाक़ी (1000s) ने जाटों को हिंदुस्तान की प्रमुख लड़ाकू जाति बताया। तुर्क तैमूर (1390s) ने जाटों को लड़ाकू राक्षस बताया, जिनसे सारे लोग डरते थे। प्रामाणिक प्राथमिक साक्ष्य प्रस्तुत किया जा रहा हैं, जिनको आप स्वयं पढ़े।
कोई यह सच्चाई नहीं मिटा सकता हैं कि जाटों को "चांडाल" एवं "शूद्र" सिख खत्री विद्वानों ने बनाया हैं, विशेषकर स्वर्गीय गंदा सिंह और पतवंत सिंह ने।
हालांकि किसी भी जाति का वर्ण कभी भी पूरी तरह से तय नहीं था, पर कर्नल जेम्स टॉड ने राजस्थानी साहित्य के आधार पर जाटों को छत्तीस कुल के क्षत्रिय माना हैं, आप चाहे तो यह बात उनके प्रसिद्ध ग्रंथ में देख सकते हैं। टॉड ने यह बात कुमारपालचरित, पृथ्वीराजरासो, इत्यादि ग्रंथों के आधार पर लिखी हैं।
फिर खत्री सिख विद्वानों ने कुछेक फ़र्ज़ी सबूतों के आधार पर यह साबित किया कि जाट सिंध के भगौड़े चांडाल हैं, जिनको खत्री गुरुओं ने सभ्य मनुष्य बनाया और जिनको बंदा बहादुर ने कृषि भूमि दी। यह ही सिखी को एक महान धर्म बनाती हैं कि उन्होंने डेढ़ करोड़ सिंधी चांडालों को सभ्य एवं समृद्ध मनुष्य बनाया।
यह ही बात मुझे और मेरे विद्वान जाट मित्रों को चुभती हैं, वरना हमारी सिखी से कोई दुश्मनी नहीं हैं। खत्री चाहे तो राम के वंशज बने और चाहे तो सम्राट सारगोन महान के वंशज बने, उससे हमें कोई अपाति नहीं हैं। पर खत्री जाति को महान बनाने के लिए, जाटों के इतिहास पर कलंक लगाने की कोई आवश्यकता नहीं थी। बस।
एडिट: वह प्रथम डॉक्यूमेंट जिसमें जाट को चांडाल लिखा हैं, को अच्छे से देखो। वो किसने, किससे और क्यों लिखवाया हैं?
कर्नल जेम्ज़ टॉड ने, वर्ष 1820 और 1832 के मध्य में, कुमारपालचरित, पृथ्वीराजरासो, सहित राजस्थानी साहित्य और एक अभिलेख के आधार पर लिखा कि पाँचवीं शताब्दी अथवा उससे पहले से ही जाट राजस्थान में रह रहें थे और उनको छत्तीस कुल के क्षत्रियों में शामिल किया हुआ था। लेकिन पहली बार वर्ष 1967 में पंजाब में एक पुस्तक छपी जिसमें जाटों को बारहवीं शताब्दी में सिंध से आये चांडाल बताया गया। (Essays in Honour of Dr. Ganda Singh. Eds. Harbans Singh and N. Gerald Barrier: Punjabi University, Patiala, 1970. pp. 94.) फिर उस किताब को बहुत बड़े स्तर पर quote किया गया और सिंध एवं चांडाल वाली थ्योरी को प्रसिद्ध किया गया
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