यह कहना या उछालना-उछलवाना एक फंडी-प्रोपेगंडा है कि "जाट भूमिहीन शूद्र थे, जो खत्रियों और राजपूत ज़मींदारों के खेतों पर दिहाड़ी मज़दूरी करते थे। जाटों को बंदा बहादुर ने ज़मीनें दी"।
उत्तर: आ’यन-ए अकबरी के अनुसार गंगा से झेलम नदी के मध्य जाट सबसे प्रमुख ज़मींदार जाति थी। खत्रियों के पास ज़मीन, नहीं तो पहले थी और ना ही आज हैं। खत्री जाट ज़मींदारों के पटवारी और मुंशी होते थे। सतलुज के आगे राजपूत नाम की कोई जाति ही नहीं थी।
संदर्भ: Khan, Zahoor Ali. “ZAMINDARI CASTE CONFIGURATION IN THE PUNJAB, c.1595 — MAPPING THE DATA IN THE ‘A’IN-I AKBARI.’” Proceedings of the Indian History Congress 58 (1997): 334–41. http://www.jstor.org/stable/44143925.
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