Wednesday, 17 January 2024

कोई 300 साल पुराना जाटो का इतिहास मांगे तो ये साझा कर देना।


1000 साल पहले अलबरुनी भारत आता है और कृष्णा को जाट लिखकर जाता है।
सिंध में कैकान की पहाड़ियों के जाट मोहम्द बिन कासिम से लड़ते है।
कर्नल टॉड को 5वी सदी के जाट राजा शैलेन्द्र का शिलालेख मिलता है।
5वी सदी के जाट राजा का बूंदी से शिलालेख मिलता है।
1हजार साल पहले रणथंभौर किले का निर्माण नागिल जाट करवाते है। जो अखबारों में भी कई बार आ चुका है ।
पृथ्वीराज की मौत 1192 में हुई है और 1206 में मोहम्मद गोरी की गर्दन काटकर खोखर जाट मारते है ।
रज़िया सुल्तान को जाटो में मारा था।कुतुबुद्दीन ऐबक के समय जाटवान मलिक लड़ रहा था।
पृथ्वीराज रासो में जाट राजा सारंगदेव का जिक्र है ।
महमूद ग़ज़नी जब सोमनाथ मंदिर लूटकर ले जा रहा था तो सिंध के जाटो में उसे लूट लिया था।जिस वजह से उसका आखरी हमला जाटो के खिलाफ ही था।
जिसमे महमूद ग़ज़नी के गवर्नर की गर्दन जाटो ने काट दी थी और इसके लिए जाटों ने 500,000 दिरम की सुपारी ली थी।
कासिम के हमले के बाद बगदाद में जाटों ने 6 महीने रास्ता बंद कर दिया था।
14वी सदी की कास्थानागर(काठा) जाटो की रियासत जो जमुना के किनारे थी। जिसका राज 300 साल तक चला । जिसका मुख्य केंद्र आज का काठा गांव बागपत में है। जहाँ किले के कुछ खंडर अभी भी दिख जाते है।
जांगल देश में 1488 तक जाट सत्ता कायम थी।
ये सब तो उस तथाकथित 300 साल से पुराना इतिहास है वो भी अभी पूरा नही बताया। अभी सिख और मौले जाट का रुतबा बाकि है ।
जो भी बात बताई है।उनके सबके सबूत मौजूद है।
बात यह है कि आप अपने इतिहास का जिक्र किसी को नीचा दिखाने के लिए न करे। बल्कि खुद को भरोसा दिलाए कि आप दुनिया का कोई भी मुश्किल काम करने की क्षमता रखते है।
और भविष्य बायोटेक्नोलॉजी का है। तो सारा इतिहास जेनेटिक पर शिफ्ट हो रहा है। दूसरे समूहों से ऐतिहासिक बहस करके टकराव न करे।हर फील्ड में वर्तमान को बेहतर करने के लिए मेहनत,लगन,मजबूत माइंडसेट से जुट जाए।
वास्तविक जट्ट - Dinesh Singh Behniwal

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