छत्तीस जात!
छत्तीस बिरादरी का साथ!
पैंतीस बनाम एक!
ये कुछ ऐसे जुमले हैं जिनके कारण मुझे इन छत्तीस बिरादरियों के बारे में जानने की उत्सुकता हुई! कौनसी हैं ये छत्तीस बिरादरी? किस धर्म ग्रंथ या ऐतिहासिक ग्रंथ में है इन छत्तीस बिरादरियों का जिक्र? काफी शोध करने के बाद भी कोई भी ऐसा स्रोत नहीं मिला जहां इन छत्तीस बिरादरियों का जिक्र हो! इनकी सूची दी गई हो!
हां! 1435 ईसवी के आचार्य जमदग्नि द्वारा रचित कुमार प्रबंध में छत्तीस राजकुलों ,राजवंशों का जिक्र जरूर है जिन्होंने मध्य भारत व उत्तर भारत में ,विशेषकर राजस्थान,गुजरात,पंजाब,सिंध और सिंध नदी पार प्रदेश अफगानिस्तान तक राज्य किया!
इन्हीं राजवंशों की सूची का विवरण अंग्रेज इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड द्वारा 1829 में लिखित"राजस्थान का इतिहास" में भी दिया गया है! ये सभी राजवंश सूर्यवंश या चंदर वंश या अग्निकुल कुल से अपनी उत्पति मानते है! इनकी सूची इस प्रकार से है;
1.गहलोत 2.यदुवंश 3.तोमर 4.राठौर 5.कुशवाहा 6.परमार 7.चौहान 8.चालुक्य या सोलंकी 9.प्रतिहारा या परिहार( क्रम 6 से 9 तक के वंश अग्निकुल से उत्पति मानते हैं) 10.चावड़ा 11.तक्षक 12. जिट या जाट 13. हूण 14.कट्टी 15.बल्ला 16. झाला मकवाना 17.जैतवा, जेतवा या कैमारी 18.गोहिल 19. सरव्या या सरियास्पी 20 .सुल्लर 21. डाबी 22. गौर 23. डोर या डोडा 24.घेरवाल 25. बड़ गुज्जर 26.सेंगर 27. सिकरवाल 28. बैंस 29. दाहिआ 30.जोहिया 31. मोहिल 32. निकुंपा 33.राजपाली 34. दाहिरिया 35.दाहिमा 36.आदिवासी कबीले जैसे कि मीणा,भील, थोरी, खांगर इत्यादि!
इसके अलावा टॉड ने कृषक जातियों एवं 84 व्यवसायिक जातियों का भी जिक्र किया है जिनमें से कई बनिया समाज से हैं!
कह नही सकता लंबे इतिहास में क्या कुछ बीता होगा! पर एक बात जाहिर है कि जाट,राजपूत,गुज्जर, अहीर इन सभी जातियों की उत्पति,उद्भव की कहानी एक ही रही है!खेती,पशुपालन,आवश्यकता पड़ने पर युद्ध,और समय के साथ एक दूसरे पर प्रभुत्व स्थापित करने की होड़ में सामाजिक वर्गीकरण! ये समझ पाया हूं छत्तीस बिरादरियों के बारे में! कोई प्रबुद्ध बंधु अगर इस पर प्रकाश डाल सकें तो स्वागत है!
कुलबीर मलिक!
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