Monday 19 February 2024

सिर्फ पंजाब हरियाणा वाले ही क्यों कर रहें हैं?

इस बात का जवाब समझने के लिए मजदूरी के रेट का उदाहरण ले लो। पुरबिए मजदूरी के लिए पंजाब हरियाणा में ही क्यों आते हैं? क्योंकि यहां मजदूरी 500-600₹ है तो वहां 300-400₹ है। पर उन लोगों ने कभी भी अपने राज्यों में इसके लिए आवाज नहीं उठाई। आवाज उठाने के लिए जागरूकता और हिम्मत चाहिए। एक और उदाहरण, हमारे भिवानी में मध्यप्रदेश के रीवा और उसके आसपास के जिलों से कुछ परिवार आए हुए हैं। मजदूरी करने नहीं, भीख मांगने। जब उनसे पूछा कि भीख क्यों मांगते हो, मजदूरी ही कर लो, और भीख ही मांगनी है तो अपने वही मांग लेते? तो उनका जवाब था कि बाऊ जी मजदूरी जितना तो भीख मांगने से ही मिल जाता है, और अपने वहां भीख मांगने में शर्म आती है क्योंकि वहां लोग जानते हैं, यहां कोई जानता नहीं, छह महीने यहां भीख मांगते हैं और उसके बाद वापिस छह महीने अपने गांव जा आते हैं। जबकि मध्यप्रदेश में पिछले पच्चीस साल से श्री राम के बच्चों की सरकार है और इन बेचारों की हिम्मत नहीं कि अपनी सरकार से आंख उठा कर सवाल कर लें। वैसे भी अगर इन्होने सवाल किया भी, तो इन पर वो पेशाब कर देंगे!? हरियाणा पंजाब में किसी की भी सरकार रही हो, यहां आंदोलन होते रहते हैं, यहां ये बहाना नहीं कि फलाने के ग्राफ से लोगों को दिक्कत है इसलिए आंदोलन हो रहा है। यहां किसी फलाने के ग्राफ से नहीं खुद के ग्राफ की फिक्र पहले है और इसी कारण ये राज्य बाकियों की तुलना में समृद्ध हैं। हरियाणा में बुढ़ापा पेंशन जितनी है एमपी, यूपी में उसकी आधी भी नहीं है। ये तो यहां श्री राम वाले इस पेंशन पर वादाखिलाफी कर गए वरना ये पांच हजार के आसपास होती। यूपी एमपी वालों ने तो इसके लिए भी कभी अपनी सरकार से सवाल तक नहीं किया। जो लड़ेगा वो ले रहेगा, वरना छुप छुप कर भीख मांगनी पड़ेगी। वैसे हरियाणा में भी आंदोलन एक जाति विशेष के क्षेत्र में ही होता है बाकी के तो फ्री में ही उसी का फायदा ले जाते हैं। बंसी लाल सरकार रही हो या चौटाला सरकार, बिजली बिलों को लेकर जाति विशेष वाले क्षेत्र के किसानों ने ही आंदोलन किए थे, बाद में उसका फायदा सभी को मिला। और आज हरियाणा में वह लोग भी कहते मिल जायेंगे कि इनको तो फलां सीएम से दिक्कत है। दिक्कत नहीं, इसे हिम्मत कहते हैं, जो अपनों के विरुद्ध भी खड़े होने की रखते हैं।

By: Rakesh Sangwan

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