He is revered upon as Asian Plato, Jat Odysseus by various historians and intellectuals of global arena.
बागडु के युद्ध में माधोसिंह की ओर मल्हारराव होल्कर, गंगाधर तांतिया, मेवाड़ के महाराणा जगतसिंह, जोधपुर नरेश, कोटा तथा बूंदी के राजा थे। ईश्वरीय सिंह इस युद्ध में अकेले पड़ गए थे। ईश्वरीय सिंह की ओर से भरतपुर रियासत के सूरजमल उनके साथ थे। बागडु के इस युद्ध में ईश्वरीय सिंह की जीत हुई और इन सभी सात राजाओं को हार का मुँह देखना पड़ा।
प्रतापी जाट की प्रतिष्ठा के प्रति द्वेष दिखाए बिना बूंदी का राजपूत कवि सूर्यमल्ल मिश्रण इस स्मरणीय अवसर पर सूरजमल के शौर्य का वर्णन काव्यात्मक शैली में इस प्रकार करता है -
सह्यो भलैंही जट्टनी, जय अरिष्ट अरिष्ट।
जिहिं जाठर रविमल्ल हुव आमैरन को इष्ट॥
बहुरि जट्ट मल्लार सन, लरन लग्यो हरवल्ल।
अंगद ह्वै हुलकर अरयो, मिहिरमल्ल प्रतिमल्ल॥
(वंश भास्कर, पृ० 3518)
“अर्थात् जाटनी ने व्यर्थ ही प्रसव पीड़ा सहन नहीं की। उसके गर्भ से उत्पन्न सन्तान सूरज (रवि) मल शत्रुओं के संहारक और आमेर का शुभचिन्तक था। पृष्ठभाग से वापस मुड़कर जाट ने हरावल में मल्हार से युद्ध शुरु किया। होल्कर भी अंगद की भांति अड़ गया, दोनों की टक्कर बराबर की थी।”
:- कवि ने ज़ट्ट शब्द इस्तेमाल किया है। वैसे असल शब्द भी ज़ट्ट ही है, ज़ट्ट से जाट बोला जाने लगा। आज भी काफ़ी गाँव ऐसे हैं जिनके नाम के साथ ज़ट्ट शब्द ही बोलने में आता है, जैसे कि शाहपुर ज़ट्ट, ख़ेड़ी ज़ट्ट...
By: Rakesh Sangwan
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