Friday 14 June 2024

इस महाशय को अब अकेले जाट ही क्यों याद आएं हैं?:

जब जंतर-मंत्र पर पहलवान बेटियां घसीटी जा रही थी; तब नहीं बोला यह महाशय कि यह बेटियां जाट हैं व् जाट देश की शान होते हैं; उनकी आवाज को इस तरीके से क्यों दबाया जा रहा है? 13 महीने चले किसान आंदोलन में नहीं चुस्का यह महाशय कि यह जो किसान आंदोलन लिए चले आएं हैं दिल्ली तक, इनमें 80% तक किसान जाट-जट्ट बिरादरी से हैं, तो इनको आवाज सुनो व् बिना तकलीफ दिए इनको न्याय दो| जब अग्निवीर ला के सेना का अभिमान कुचल रहा था मोदी, तब नहीं चुस्का यह महाशय कि उस सेना को ऐसे मत खत्म करो, क्योंकि उसमें हर तीसरा सैनिक इसी जाट समाज से आता है, जिसको यह आज देश की शान बता रहा है? 


अब चुस्का है क्योंकि पूरी खापलैंड व् मिसललैंड पे फंडियों को, फ़िलहाल हुए लोकसभा चुनावों में जब जाट-दलित-सिख-मुस्लिम व् 50% ओबीसी समाज ने मिल के रसातल में चिपका दिया तो इन महाशय को सिर्फ जाट याद आ रहे हैं (बाकी दलित व् ओबीसी कोई याद नहीं आया)| इसका तथाकथित हिन्दू राष्ट्र की आड़ में "मनुवाद राष्ट्र" बनाने का भूत उतरा नहीं है सर से अभी भी| यह कवायद अब आगामी हरयाणा विधानसभा चुनावों बारे लगती है; व् इनको इसकी ड्यूटी दी गई हो जैसे| और देखें जरा कितनी arrogance व् बदतमीजी से कह रहा है; जैसे जाट कौम इसकी बंधुआ हो| 


यह वही भाषा व् एप्रोच है, जैसी 'जाट जी जैसी सारी दुनिया हो जाए तो पंडे-पुजारी भूखे मर जाएं' वाली स्तुति सत्यार्थ प्रकाश के ग्यारहवें सम्मुल्लास में लिखी है; वह व्यक्ति कम-से-कम ईमानदारी से सादर तो लिख रहा था; इसका तो लहजा ही "जाट समाज को बंधुआ" समझने वाला है| भला, कौन तो जाट किसी को भूखा मारने वाला; व् जाट ने किसी के हाथ जूड़ रखे हैं या उनको कमाने-खाने से रोकता है; जो वह भूखे मर जाएंगे; और कौन जाट, जो इसको "मनुवाद राष्ट्र" बना के देगा| बना ले अपने तथाकथित ज्ञान व् शक्तियों से खुद ही; जिसके जाल में फंसा के इतनी जनता अपने पीछे लगाए फिरता है; इसके बाद भी जाट की जरूरत की कसर ही रह गई; हद है| 


दूर रखें खुद को व् अपने बच्चों को ऐसे फलहरियों से; होते म्हारे दादों-पड़दादों वाले जमाने तो लठ लगते इसकी पिण्डियों पे| 


Bageshwar Dhaam baba about Jats in below video!



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