Friday, 14 June 2024

राजा vs खाप

राजा का बेटा राजा बनेगा! राजा उसे पहले ही राजकुमार घोषित कर देगा और समय पर उसका राजतिलक कर देगा! प्रजा जय जयकार करेगी और शासन बडे राजा से पुत्र राजा के पास चला जाएगा! उसका शब्द ही कानून होता है और उसका आचरण ही नैतिकता की सीमाएं तय करता है! दशरथ ने समय रहते राम के राज्याभिषेक की तैयारी कर दी थी परंतु जंगल जाना पडा लेकिन जंगल से भी राज चलाते रहे जैसे अब कुछ राजा जेल चले जाते हैं और उनकी जगह भरत गद्दी पर उनकी खडाऊँ रख कर उनके नाम से राज करते हैं!

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ये राजा पता नही कहाँ होते थे हमारे यहाँ तो खाप होती थी जो सामूहिकता से फैसले लेती थी और उनका प्रधान हर बार अलग चुना जाता था! खापलैंड में ये सब सामंतवाद नही होता था और राजकुमार की तो छोडिए राजा ही नही था! खाप ही सामाजिक राजनीतिक और सभी प्रकार का मंच होती थी और वहीं सब फैसले करती थी!
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लोकतंत्र आया और लोग चुने जाने लगे लेकिन उनके चुनने का तरीका थोडा खाप से अलग होता रहा! खाप में चुनाव जहां हाथ उठा कर सामने सहमति से होता था वहीं ये चुनाव पर्दे की आड में होता था! लोगों में एक दूसरे के प्रति अविश्वास बढता चला गया कि उसने नही दी होगी वोट या इसने नही दी होगी! इस तरह चुनाव से लोग विधायक सांसद चुने जाने लगे और मन्त्री मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनने लगे! अगर पुराने समय के अनुसार बोलूं तो राजा बनने लगे! जब राजा बनने लगे तो राजकुमार भी बनने लगे! बेशक लोकतंत्र था लेकिन एक ही व्यक्ति को आप बार बार चुना जाता रहा तो वो खुद को राजा ही समझने लगे और समझें भी क्यों नही जब जनता ही उनको राजा बनाने पर आमादा थी और आंख बंद करके उन्हीं को बना देती रही! जब उनको ये गुमान हो गया कि वे राजा हैं तो उनके बेटे भी राजकुमार ही होगें! अब जब जनता ही राजा बनाने पर तुली है तो राजकुमार भी जनता ही बनाती है! लोकतंत्र राजशाही में बदल गया! कई कई राजाओं के तो राजकुमार भी आ गये और उनके राजकुमार भी आ गये!
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हरियाणा में लगभग चालीस विधायक पूर्व विधायक अपने बेटों के लिए टिकट मांग रहे हैं! ये उनका हक है क्योंकि ये वहीं लोग हैं जिन्होंने काफी काफी सालों से अपने अपने क्षेत्र में राजा का कद प्राप्त कर रखा है! कोई पैंतीस साल से चुना जा रहा है कोई चालीस साल से चुना जा रहा है! जनता भूल चूकी है कि कोई और भी चुना जा सकता है! अब इनको गुमान हो गया है कि उनके बेटों का राजतिलक होना चाहिए! अब उनकी जगह उनके बेटे राज संभालेगें और वो अब आराम करेगें! ये सब काम वो अपने जीते जी ही करना चाहते हैं! ये खाप की धरती पर हो रहा है उस धरती पर हो रहा है जहां गणतंत्र था जहां कोई राजा वजीर नही होता था! कुछ राजकुमारों का राज्याभिषेक हो चुका है लेकिन अगला चुनाव इनका ही होगा! जनता जोरदार तालियां पीटे जनता इनकी जय जयकार करे! उसके पास बस केवल यहीं है एक दिन पोलिंग बूथ पर जाए और बटन दबा आए और राजकुमार का राजतिलक कर आए!!
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अब जो राजकुमार हैं वो राजा बनेगें और फिर अपने बेटों को राजकुमार घोषित कर देगें फिर समय पर राजा बना देगें! प्रजा अपने बेटों के लिए डी ग्रुप की नौकरी के लिए उनके दरवाजे पर माथा टेकती रहे! हजूर माई बाप आप मेरे लडके को लगवा दें तो रोटी पेट की चिंता कम हो! चिरौरी करनी होती हैं और मिन्नतें करनी होती हैं! लोकतंत्र फिर अहसास कराता है जनता को कि तुम मालिक हो इस देश के और वो फूल कर कुप्पा हो जाती है! टेढी टेढी चलना शुरु कर देती है और चुनाव वाले दिन उसके सामने दो विकल्प दे दिए जाते हैं दो राजकुमार! आप इस राजकुमार को चुनो या उस राजकुमार को चुनो! आप वोट ना भी दोगे तो राजकुमार का राजतिलक नही होगा इस खुशफहमी में मत रहना!
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राजकुमार तैयार हैं राजा तैयार हैं राजतिलक का समय तैयार है और जनता जय जयकार करने के लिए तैयार है! चंवर डुलाए जाएगें जयकारें लगाए जाएगें राजा बनाए जाएगें तुम्हारा क्या बे! काटडे की मां के धूण दूध पर काटडे का क्या? जनता देखती रहे सुनती रहे और राजतिलक पर थोडी बहुत मिठाई खाती रहे! क्या ये खापलैंड की जनता इस पर ध्यान देगी? क्या ये समानता का समाज अपने में से किसी को राजा बनाएगा या राजा पुत्रों को ही राजकुमार बनाएगा!

By: Sukhwant Singh Dangi

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