Saturday, 15 June 2024

शमशाद बेगम जी मान गोत की जाट थी!

हमारे समाज में सिर्फ़ जाति आधार पर ही भेदभाव नहीं है, यह भेदभाव क्षेत्र आधार पर भी है, यह भेदभाव धर्म के आधार पर भी है। यह भेदभाव वाली व्यवस्था सिर्फ़ दूसरी जातियों से ही नहीं ख़ुद की जाति से भी है। एक ही जाति, एक ही गोत, पर अगर धर्म अलग-अलग हैं तो दोनों एक दूसरे से पूरी धार्मिक छुआछूत बरतते हैं। इस धार्मिक छुआछूत का उदाहरण महान गायक मोहमद रफ़ी, शमशाद बेगम आदि हैं। बॉलीवुड का ज़िक़्र आता है तो हमारी सोच सिर्फ़ पहलवान दारा सिंह जी और धर्मेंद्र जी तक सीमित रह जाती है। जबकि इन्हीं लोगों के समकालीन बॉलीवुड में गायकी में कई दशकों तक जिनकी बादशाहत रही उनके बारे में हमारे लोगों को या तो पता नहीं, पता है तो ज़ुबान सिल जाती है क्योंकि वो मुस्लिम जाट हैं? मोहमद रफ़ी साहब का बेटा इंटर्व्यू में ख़ुद कहता है कि वो लोग पंजाब के जाट हैं। पर नहीं, हम तो इन्हें मिरासी या हज्जाम मानेंगे? जबकि उनकी ऑटोबायोग्राफ़ी में उनका गाँव गोत सब लिखा है, उनका बेटा ख़ुद को गर्व से जाट बता रहा है।

रफ़ी साहब की तरह ही एक वक़्त में बॉलीवुड में महान गायिका शमशाद बेगम जी का पूरा सिक्का चलता था। पर मैंने हमारे किसी भाई को कहते नहीं सुना कि वो जाट थी। जबकि इनकी ऑटोबायोग्राफ़ी में इनका गोत और जाति बड़ी स्पष्ट लिखी हुई है। शमशाद बेगम जी का जन्म लाहौर में मान गोत के मुस्लिम जाट परिवार में हुआ था। 1940 से 1970 तक शमशाद बेगम जी का बॉलीवुड में पूरा सिक्का चला। मंगेशकर बहनों (लता जी व आशा जी) ने अपना कैरीअर शमशाद बेगम जी की सहगायिका के तौर पर शुरू किया था। दोनों बहनें शमशाद जी के कोरस में गाया करती। शमशाद बेगम जी एक महँगी गायिका थी, जो प्रडूसर्ज़ के लिए अफ़ॉर्ड करना आसान नहीं था तो जब मंगेशकर बहनों का कैरीअर आगे बढ़ना शुरू हुआ तो प्रडूसर इनसे माँग करते कि आप लोग शमशाद बेगम के अन्दाज़ में गाओ। सन 2009 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में शमशाद बेगम जी को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 23 अप्रैल 2013 को मुंबई में शमशाद बेगम की का निधन हो गया था।

By: Rakesh Sangwan

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