ये निजीकरण वाले अडानी ने किसी गरीब की झोंपड़ी बनाई है या इंटरनेशनल स्टैण्डर्ड के एयरपोर्ट जो बारिश-हवा तक नहीं झेल पा रहे व् ढह जा रहे हैं सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार व्याप्त है, कर्मचारी कामचोर हो जाते हैं; सामान में मिलावट कर देते हैं; यह ताने व् कारण दे-दे कर तो हर संस्था के निजीकरण के पीछे पड़े यह लोग, पिछले दस साल से| अब निजीकरण ने क्या गुल खिलाए हैं, देख लीजिये हाल, भोपाल, अयोध्या व् दिल्ली एयरपोर्ट्स की छतों-छज्जों-दीवारों द्वारा बारिश मात्र नहीं झेल पाने की दशा से| अडानी ने कौनसे गुल खिला दिए क्वालिटी वर्क डिलीवरी में; सरकारी वालों से अलग? जैसे-जैसे छत तक गिरने, टपकने जैसे बचकाना हादसे हो रहे हैं; ऐसे तो शायद ही कभी सुनने को मिलते थे सरकारी महकमों में; जितनी भरमार अब हुई पड़ी है|
यह जो तथाकथित राष्ट्रवाद, तथाकथित जाति-धर्म के नाम " इस बनाम उस वाली नफरत की धोंकनी" में देश को झोंक के, उसकी आड़ में यह जो बवंडर कर दिए हैं इन अंधभक्तों लोगों के आकाओं ने, उसकी वजह से कई पीढ़ियां भुगतने जा रही हैं देश की| और अंधभक्ति का आलम यह होता है, मुड़ के पूछने-टोकने तक की औकात व् बिसात नहीं होती अंधभक्त की कि क्या हमने इसी बदहाली के लिए तुम्हें अँधा समर्थन दिया था|
सम्भल जाओ हरयाणा वालो, खासकर वो जो इनको 10 साल देख के भी अब भी तथाकथित 35 बनाम 1 की धोंकनी में धधके जा रहे हैं; आगामी विधानसभा में बचा लो अपने बच्चों के लोकतान्त्रिक भविष्य को!
फूल मलिक
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