Wednesday, 18 September 2024

"थारा तो सिर्फ दीवा था! तेल और बती तो मेरी आपणी थी "!🤣🤣🤣

वर्ष 1960,  61.... मैंने जाट हीरोज मेमोरियल एंगलो संस्कृत हायर सेकेंडरी स्कूल रोहतक आठवीं क्लास में दाखिला लिया कोई खास ज्ञान नहीं था, छोटे-छोटे बच्चे थे, हमने देखा कि प्रातः प्रातः सुबह एक नेताजी वाली ड्रेस में हाथ में छड़ी लिए हुए एक सुंदर व्यक्तित्व का धनी,उसके पीछे-पीछे एक बंदूक वाला खाकी ड्रेस में और उनके साथ एक जर्मन शेफर्ड अल्सेशन कुत्ता प्रतिदिन स्कूल के ग्राउंड में देखा करते थे।हम उस समय फुटबॉल ग्राउंड में जाते थे, बहुत वक्त से सुबह-सुबह हाथ अंधेरे प्रैक्टिस करते थे। उस समय मेरे साथी फुटबॉल खिलाड़ी महावीर हुड्डा, मेरे ही गांव का मेरा फुटबॉल गोलकीपर भगवान सिंह, मेरे साथ लडायन गांव का मेरा साथी खिलाड़ी राजरूप सिंह, अतर सिंह बाल्मीकि, ताले राम, वीरेंद्र सिंह, जगबीर खेड़ी आसरा, चांद, ओम प्रकाश, भगता भागी बिरोहड़, पहलवान वेदपाल मोर हमारी फुटबॉल टीम का बैक, दयानंद सांगवान, इत्यादि ग्राउंड में खेलते थे,और कभी-कभी हमारे कोच फुटबॉल इंचार्ज श्री रन सिंह नरवाल जी कथुरा उनसे ग्राउंड में खड़े होकर वार्तालाप किया करते थे। एक दिन हमने हमारे फुटबॉल इंचार्ज कोच से हिम्मत करके मैंने पूछ ही लिया कि गुरुजी यह कौन है? उस दिन हमने पहली दफा जाना उस व्यक्ति के बारे में! अब जब आज के नेताओं को देखते हैं तो वह शख्सियत बड़ी याद आती है काश कि आज के युग में भी जिंदा होती! उन दिनों में पार्टीयों को कोई नहीं पूछता था नेता के कार्यकलाप की ही प्रशंसा होती थी, आजकल कल के नेताओं की तरह नहीं कि जितना बड़ा बदमाश उतना अच्छा नेता?????

पोस्ट छोटूराम इरा में चौधरी लहरी सिंह की गिनती रोहतक जिले के प्रभावशाली नेता और अग्रणी   नेताओं  मैं होती रही है!

 असुलों के!सिद्धांतों के पक्के! मज़बूत इरादे!

1965 के भारत पाक युद्ध के उपरांत इंदिरा जी ने पंजाबी सूबे  के  मसले को सुलझाने के लिए सरदार हुकम सिंह की अध्यक्षता मैं एक कमेटी  कांस्टिट्यूट की और इस कमेटी में हरयाणा के पक्ष के प्रतिनिधित्व के लिए चौधरी बंसीलाल और चौधरी लहरी सिंह को बतौर मेंबर रखा!

 उस समय चौधरी बंसीलाल राज्य सभा के सदस्य थे और चौधरी लहरी सिंह जनसंघ के सिंबल " दीये " पर रोहतक संसदीय क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए थे!

 पंजाबी सूबे की मांग के मामले में  जनसंघ पार्टी की सोच  अकालियों की सोच से भिन्न थी! अकाली  अलग पंजाबी सूबे की मांग कर रहे थे और जनसंघ की मांग थी कि " महापंजाब " का गठन किया जाये  जिसमें सिख अल्पमत में आ जाएँ और पंजाबी हिन्दू  का बहुमत हो!

पर चौधरी लहरी सिंह की इस मामले में सोच अलग थी! उनकी शुरू से ही सोच थी कि अगर स्वतंत्र हरयाणा प्रदेश  का गठन कर दिया जाये तो हरयाणा वासियों के हित अधिक सुरक्षित रहेंगे! अपनी इस सोच पर वो अडिग रहे और हुकमसिंह कमेटी में चौधरी लहरी सिंह ने  अलग हरयाणा प्रदेश के गठन की मांग की! 👍👍👍 चौधरी रणबीर सिंह संविधान सभा के सदस्य श्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिताजी भी उन दिनों में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते थे जबकि पार्टियां अलग थी। इस रोहतक क्षेत्र की यही एक विशेषता थी की मिलकर चलना आपसी भाईचारा प्रेम सद्भाव समाज सेवा सरोपरी माना जाता था।

हालांकि उस दौर  में बहुत से कोंग्रेसी भी अलग हरयाणा प्रदेश की मांग के बारे में मुखर  नहीँ थे!🫢🫢🫢

चौधरी लहरी सिंह की इस सोच की, इस विचारधारा की, उस समय की जनसंघ पार्टी  के शीर्ष नेतृत्व ने आलोचना की! उनका विरोध किया! उनको उलाहना दिया कि हमारे  चुनाव चिन्ह दीये पर निर्वाचित हो हमारा ही विरोध!🫢🫢🫢

चौधरी लहरी सिंह बहुत ही सपष्ट, निर्भीक, मज़बूत जनाधार और सिद्धांतों के पक्के नेता थे!

उनका जवाब था!" थारा तो सिर्फ दीवा था! दीये में तेल और बत्ती तो मेरी आपणी थी!"

ज़ाहिर था चुनाव उन्होंने अपने जनाधार एवं लोकप्रियता के दम पर जीता था ना क़ि जनसंघ पार्टी के दम पर!

इतने निर्भीक थे हमारे पूर्वज़!

सलाम ऐसे निर्भीक और परिपक्व सोच के नेताओं को!

आज़के फसली बटेर इन बुज़ुर्गो से कोई प्रेरणा ले सकें तो उनका भी कल्याण हो जाये! उनके पाप कट जाएँ!

     आज समय की मांग है की इन विदेशी यूरेशियन नस्ल के भारतवर्ष के झूठे, लुच्चे लफंगे, बदमाश, बलात्कारी, व्यभिचारी, दुराचारी, भ्रष्टाचारी शासको को इस देश से जड़ मूल से उखाड़ कर फेंकने की आवश्यकता है। 

प्रधान धनखड़ खाप, कोऑर्डिनेटर सर्व खाप पंचायत।


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