Monday 2 May 2016

अंग्रेजों द्वारा बनाये गए कुछ ऐसे कानून, जिनकी वजह से मनुवादियों पर लगामें लगी!

आखिर अंग्रेजों के कानूनों में ऐसा क्या था कि 8वीं सदी से ले और 17वीं सदी तक के लगभग 900 साल के मुग़ल शासनकाल में मनुवादियों द्वारा एक बार भी "मुग़लो भारत छोड़ो!" किस्म के आंदलोन देखने को नहीं मिलते? जबकि अंग्रेजों के मात्र 200 साल के शासन में ही मनुवादी इतने उद्वेलित हो उठे कि किसी ने "स्वराज मेरा अधिकार" का नारा दिया तो कोई "अंग्रेजों भारत छोडो" का नारा देता था?

आईये डालें अंग्रेजों द्वारा बनाये गए ऐसे ही कुछ कानूनों की फेहरिस्त पर एक नजर, जो मनुवाद की राह में रोड़ा बने और यह अंग्रेजों से बिदके भी और उनसे ऐसे चिड़े कि आज भी आपको-हमको अंग्रेजों को सबसे बड़ा दुश्मन दिखाते हैं| हालाँकि वो बात अलग है कि फिर भी मनुस्मृति ईरानी की बेटी अंग्रेजों की यूनिवर्सिटी में ही शिक्षा लेने जाती है|

1) 1773 में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने रेगुलेटिग एक्ट पास किया जिसमें न्याय व्यवस्था समानता पर आधारित थी। 6 मई 1775 को इसी कानून द्वारा बंगाल के सामन्त ब्राह्मण नन्द कुमार देव को फांसी हुई थी।
2) अंग्रेजो ने 1795 में अधिनयम 11 द्वारा शुद्रों को भी सम्पत्ति रखने का कानून बनाया।
3) 1804 अधिनीयम 3 द्वारा कन्या हत्या पर रोक अंग्रेजों ने लगाई (लडकियों के पैदा होते ही तालु में अफीम चिपकाकर, माँ के स्तन पर धतूरे का लेप लगाकर, एवम् गढ्ढा बनाकर उसमें दूध डालकर डुबो कर मारा जाता था )|
4) 1813 में ब्रिटिश सरकार ने कानून बनाकर शिक्षा ग्रहण करने का सभी जातियों और धर्मों के लोगों को अधिकार दिया।
5) 1813 में ने दास प्रथा का अंत कानून बनाकर किया।
6) 1817 में समान नागरिक संहिता कानून बनाया (1817 के पहले सजा का प्रावधान वर्ण के आधार
पर था। ब्राह्मण को कोई सजा नही होती थी ओर शुद्र को कठोर दंड दिया जाता था। अंग्रेजो ने सजा का प्रावधान समान कर दिया।)
7) 1819 में अधिनियम 7 द्वारा ब्राह्मणों द्वारा शुद्र स्त्रियों के शुद्धिकरण पर रोक लगाई। (शुद्रों की शादी होने पर दुल्हन को अपने यानि दूल्हे के घर न जाकर कम से कम तीन रात ब्राह्मण के घर शारीरिक सेवा देनी पड़ती थी।)
8) दिसम्बर 1829 के नियम 17 द्वारा विधवाओं को जलाना अवैध घोषित कर सती प्रथा का अंत किया।
9) 1830 नरबलि प्रथा पर रोक (देवी -देवता को प्रसन्न करने के लिए ब्राह्मण शुद्रों, स्त्री व् पुरुष दोनों को मन्दिर में सिर पटक पटक कर चढ़ा देता था।)
10) 1833 अधिनियम 87 द्वारा सरकारी सेवा में भेद भाव पर रोक अर्थात योग्यता ही सेवा का आधार स्वीकार किया गया तथा कम्पनी के अधीन किसी भारतीय नागरिक को जन्म स्थान, धर्म, जाति या रंग के आधार पर पद से वंचित नही रखा जा सकता है।
11) 1834 में पहला भारतीय विधि आयोग का गठन हुआ। कानून बनाने की व्यवस्था जाति, वर्ण, धर्म और क्षेत्र की भावना से ऊपर उठकर करना आयोग का प्रमुख उद्देश्य था।
12) 1835 प्रथम पुत्र को गंगा दान पर रोक (ब्राह्मणों ने नियम बनाया की शुद्रों के घर यदि पहला बच्चा लड़का पैदा हो तो उसे गंगा में फेंक देना चाहिये। पहला पुत्र ह्रष्ट-पृष्ट एवं स्वस्थ पैदा होता है। यह
बच्चा ब्राह्मणों से लड़ न पाए इसलिए पैदा होते ही गंगा को दान करवा देते थे।
13) 7 मार्च 1835 को लार्ड मैकाले ने शिक्षा नीति राज्य का विषय बनाया और उच्च शिक्षा को अंग्रेजी भाषा का माध्यम बनाया गया।
14) 1835 को कानून बनाकर अंग्रेजों ने शुद्रों को कुर्सी पर बैठने का अधिकार दिया।
15) देवदासी प्रथा पर रोक लगाई। ब्राह्मणों के कहने से शुद्र अपनी लडकियों को मन्दिर की सेवा के लिए दान देते थे। मन्दिर के पुजारी उनका शारीरिक शोषण करते थे। बच्चा पैदा होने पर उसे फेंक देते थे। और उस बच्चे को हरिजन नाम देते थे। 1931 को जातिवार जनगणना के आंकड़े के अनुसार अकेले मद्रास में कुल जनसंख्या 4 करोड़ 23 लाख थी जिसमें 2 लाख देवदासियां मन्दिरों में पड़ी थी।
यह प्रथा अभी भी दक्षिण भारत के मन्दिरो में चल रही है।
16) 1837 अधिनियम द्वारा ठगी प्रथा का अंत किया।
17) 1849 में कलकत्ता में एक बालिका विद्यालय जे ई डी बेटन ने स्थापित किया।
18) 1854 में अंग्रेजों ने 3 विश्वविद्यालय कलकत्ता मद्रास और बॉम्बे में स्थापित किये। 1902 मे विश्वविद्यालय आयोग नियुक्त किया गया।
19) 6 अक्टूबर 1860 को अंग्रेजों ने इंडियन पीनल कोड बनाया। लार्ड मैकाले ने सदियों से जकड़े शुद्रों की
जंजीरों को काट दिया ओर भारत में जाति, वर्ण और धर्म के बिना एक समान क्रिमिनल लॉ लागु कर दिया।
20) 1863 अंग्रेजों ने कानून बनाकर चरक पूजा पर रोक लगा दिया (आलिशान भवन एवं पुल
निर्माण पर शुद्रों को पकड़कर जिन्दा चुनवा दिया जाता था| इस पूजा में मान्यता थी की भवन
और पुल ज्यादा दिनों तक टिकाऊ रहेगें।
21) 1867 में बहू विवाह प्रथा पर पुरे देश में प्रतिबन्ध लगाने के उद्देश्य से बंगाल सरकार ने एक कमेटी गठित किया।
22) 1871 में अंग्रेजों ने भारत में जातिवार गणना प्रारम्भ की। यह जनगणना 1941 तक
हुई। 1948 में पण्डित नेहरू ने कानून बनाकर जातिवार गणना पर रोक लगा दी।
23) 1872 में सिविल मैरिज एक्ट द्वारा 14 वर्ष से कम आयु की कन्याओं एवम् 18 वर्ष से कम आयु के लड़को का विवाह वर्जित करके बाल विवाह पर रोक लगाई।
24) अंग्रेजों ने महार और चमार रेजिमेंट बनाकर इन जातियों को सेना में भर्ती किया लेकिन 1892
में ब्राह्मणों के दबाव के कारण सेना में अछूतों की भर्ती बन्द हो गयी।
25) रैयत वाणी पद्धति अंग्रेजों ने बनाकर प्रत्येक पंजीकृत भूमिदार को भूमि का स्वामी स्वीकार
किया।
26) 1918 में साऊथ बरो कमेटी को भारत में अंग्रेजों ने भेजा। यह कमेटी भारत में सभी जातियों का विधि मण्डल (कानून बनाने की संस्था) में भागीदारी के लिए आया था। शाहू जी महाराज के कहने पर पिछङो के नेता भाष्कर राव जाधव ने एवम् अछूतों के नेता डा अम्बेडकर ने अपने लोगों को विधि मण्डल में भागीदारी के लिये मे मोरेंडम दिया।
27) अंग्रेजो ने 1919 में भारत सरकार अधिनियम का गठन किया ।
28) 1919 में अंग्रेजो ने ब्राह्मणों के जज बनने पर रोक लगा दी थी और कहा था की इनके अंदर
न्यायिक चरित्र नही होता है।
29) 25 दिसम्बर 1927 को डा अम्बेडकर द्वारा मनु समृति का दहन किया।
30) 1 मार्च 1930 को डा अम्बेडकर द्वारा काला राम मन्दिर (नासिक) प्रवेश का आंदोलन चलाया।
31) 1927 को अंग्रेजों ने कानून बनाकर शुद्रों के सार्वजनिक स्थानों पर जाने का अधिकार दिया।
32) नवम्बर 1927 में साइमन कमीशन की नियुक्ति की। जो 1928 में भारत के लोगों को अतिरिक्त अधिकार देने के लिए आया। भारत के लोगों को अंग्रेज अधिकार न दे सके इसलिए इस कमीशन के भारत पहुँचते ही गांधी ने इस कमीशन के विरोध में बहुत बड़ा आंदोलन चलाया। जिस कारण
साइमन कमीशन अधूरी रिपोर्ट लेकर वापस चला गया। इस पर अंतिम फैसले के लिए अंग्रेजों ने भारतीय प्रतिनिधियों को 12 नवम्बर 1930 को लन्दन गोलमेज सम्मेलन में बुलाया।
33) 24 सितम्बर 1932 को अंग्रेजों ने कम्युनल अवार्ड घोषित किया जिसमें प्रमुख अधिकार निम्न दिए:
A--वयस्क मताधिकार
B--विधान मण्डलों और संघीय सरकार में जनसंख्या के अनुपात में अछूतों को आरक्षण का अधिकार
C--सिक्ख, ईसाई और मुसलमानों की तरह अछूतों को भी स्वतन्त्र निर्वाचन के क्षेत्र का अधिकार मिला। जिन क्षेत्रों में अछूत प्रतिनिधि खड़े होंगे उनका चुनाव केवल अछूत ही करेगें।
D--प्रतिनिधियोंको चुनने के लिए दो बार वोट का अधिकार मिला जिसमें एक बार सिर्फ अपने
प्रतिनिधियों को वोट देंगे दूसरी बार सामान्य प्रतिनिधियों को वोट देगे।
34) 19 मार्च 1928 को बेगारी प्रथा के विरुद्ध डा अम्बेडकर ने मुम्बई विधान परिषद में आवाज
उठाई। जिसके बाद अंग्रेजों ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया।
35) अंग्रेजों ने 1 जुलाई 1942 से लेकर 10 सितम्बर 1946 तक डाॅ अम्बेडकर को वायसराय
की कार्य साधक कौंसिल में लेबर मेंबर बनाया। लेबरो को डा अम्बेडकर ने 8.3 प्रतिशत आरक्षण दिलवाया।
36) 1937 में अंग्रेजों ने भारत में प्रोविंशियल गवर्नमेंट का चुनाव करवाया।
37) 1942 में अंग्रेजों से डा अम्बेडकर ने 50 हजार हेक्टेयर भूमि को अछूतों एवम् पिछङो में बाट देने के लिए अपील किया| अंग्रेजों ने 20 वर्षों की समय सीमा तय किया था।
38) अंग्रेजों ने शासन प्रसासन में ब्राह्मणों की भागीदारी को 100% से 2.5% पर लाकर खड़ा कर दिया था।

यही वजहें थी कि क्यों तो मनुवादी लार्ड मैकाले से चिड़ते थे और आज भी चिड़ते हैं और क्यों यह आज भी अंग्रेजों को दुश्मन बताते नहीं थकते| जबकि शायद ही कोई ऐसा मनुवादी होगा, कि जिसका अपने बच्चे को अंग्रेजों के देश में भेजने का सामर्थ्य हो और उसका बच्चा, इन्हीं अंग्रेजों की यूनिवर्सिटियों से शिक्षा अर्जित ना कर रहा हो।

हाँ, देश गुलाम था, उस वक्त भी और आज भी गुलाम है, फर्क सिर्फ इतना है कि उस वक्त हम गौरे परन्तु मानवता-जातिवाद पर भेदभाव ना करने वालों के गुलाम थे, आज उनसे भी घातक जाति-वर्ण-धर्म-सम्प्रदाय हर स्तर पर भेदभाव करने वाले मनुवादियों के गुलाम हैं|

Source: Januday - Article 7810

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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