Thursday 8 December 2016

"खापद्वारा" - जाट या किसानी जातियां जो भी धर्म-कर्म या सामाजिक कल्याण हेतु ईमारत बनाएं/बनवाएं, उसके नाम में "खापद्वारा" शब्द जोड़ने पर जरूर विचारें!

और इसमें कुछ-कुछ क्या-क्या कैसे हो सकता है, उसकी बानगी इस प्रकार समझी जा सकती है|

कल बिड़ला मंदिर वाली जो पोस्ट निकाली थी, उसके जवाब में कई भाईयों के तर्कसंगत रेस्पॉन्स आये कि जाट-मंदिर बनाओ; इस पर इतना ही कहना चाहूंगा कि हमें किसानी जातियों के यौद्धेयों के फॉर्मेट के हिसाब से मंदिर+गुरुद्वारा के कॉम्बिनेशन का स्ट्रक्चर शुरू करना चाहिए, जिसका नाम "खापद्वारा" रखा जा सकता है| इसके अंदर हमारी प्रचलित पद्दति के साथ खाप समाजों में हर कौम व् हर धर्म से जो भी यौद्धेय हो के गये हैं; उन सबकी गुरुवाणियां सुबह-शाम गाई जाएँ, ठीक वैसे ही जैसे सिख गुरुद्वारों में गाई जाती हैं|

वैसे भी आज के दिन ना ही तो कोई मन्दिर, ना आरएसएस, वीएचपी जैसे संगठन किसी भी महान जाट, खाप या किसानी जातियों के यौद्धेयों की ना ही तो कोई जयंती मनाता, ना उनकी वाणियां गाता, ना उनका कोई किसी भी लिखित/मौखिक फॉर्मेट में जिक्र करता|

इसलिए हमें अपने यौद्धेयों, हुतात्माओं के साथ अपनी कल्चर-सभ्यता-मान-मान्यताओं को जिन्दा रखना है और आगे की पीढ़ियों को पास करना है तो इसका सबसे बढ़िया विकल्प "खापदवारे" हो सकते हैं|

जिन खापों के पास पहले से ही अपने "खाप-भवन" या "खाप-इमारतें" हैं वह भी इनका नाम खापद्वारा रखने पर विचार करें| जैसे कि गोहाना में मलिक खाप का "मलिक भवन" है, रोहतक में नांदल खाप का "नांदल भवन" है व् ऐसे ही और भी काफी सारी खापों के पास अपनी-अपनी इमारतें हैं; वह इनमें "भवन" शब्द को खापद्वारा" शब्द से रिप्लेस करने को विचार देवें और जाट-धर्मशालाओं को "जाट- सर्वखापद्वारा" नामकरण पर विचारें| और इस श्रृंखला में "सर्वजातीय-सर्वखापद्वारा" सर्वजातीय सर्वखाप के हेडक़्वार्टर सोरम में बनवाया जा सकता है या फ़िलहाल जो वहाँ चौपाल है उसको यह नाम दिया जा सकता है व् आगे चलकर आवश्यकानुसार इसका विस्तार किया जा सकता है।

और इन खापदवारों में अपने यहां हो के गए तमाम हुतात्माओं-क्रांतिकारियों-पुण्यात्माओं की वाणियां व् पाठ सुबह-शाम करवाने शुरू करें| साथ ही अपने कल्चर-सभ्यता इत्यादि पर भी पठान-पाठन होवै तो कसम से सुवाद सा आ जावे|

परन्तु हाँ, अभी तक जितने मंदिर जाटों ने बनवाये हैं; उनके नाम अवश्य "जाट-मंदिर" टाइप में करवाये जाने चाहियें, या जिसने वो मंदिर बनवाया उसके नाम पर या उसके पुरखों के नाम पर| जैसे कि जींद का रानी-तालाब वाला मंदिर का नाम फुलकिया जाट मंदिर या जाट मंदिर या जींद का शाही मंदिर (शाही क्योंकि जींद रियासत ने इसको बनवाया) होना चाहिए|

अपील: आपके नजदीकी यथासम्भव खाप चौधरी-चौधरानियों को यह सुझाव पहुंचाने के लिए आपका धन्यवाद|

 जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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