Thursday 23 April 2020

"अश्वत्थामा हतो-हत:" - इस अफवाह ने ही द्रोणाचार्य को मरवाया था ना?


पालघर में यही तो हुआ है? अफवाह फ़ैलाने वाले अपने, मारने वाले अपने|

कब तक बचोगे तथाकथित कच्छाधारी देशभक्तो, सम्भल जाओ क्योंकि फंड-पाखंड-अफवाहों-अन्यायियों के सरताज बनोगे तो यह मत समझो कि आंच तुम तक नहीं आएगी| यह वह जहर है, देर-सवेर जिसके लपेटे में तुम भी आओगे जैसे द्रोणाचार्य आया था|

और ये द्रोणाचार्य टाइप सारे इन भक्तों के गुरु भी समझ लें, तुमको यह तुम्हारा डेढ़श्याणापन ही ले के डूबेगा अंत दिन| ठीक वैसे ही जैसे अर्जुन के लिए एकलव्य का अंगूठा तक मांगने वाले द्रोणचार्य को फिर अर्जुन व् तमाम पांडुओं की आँखों के आगे ही मार दिया गया था, वह भी निहत्थे को| क्योंकि द्रोणाचार्य कि विधा थी ही इतनी आधारहीन कि अर्जुन व् तमाम पांडुओं ने उसको मरते देख, यह हवाला देना तक उचित ना समझा कि वह निहत्था है, दुःख में लिप्त है, वह वो आदमी है जिसने अर्जुन के लिए एक दलित का अंगूठा मांग लिया था| कम-से-कम इतनी रियायत तो दी होती उस आदमी को, कि उसकी हस्ती-हैसियत के हिसाब की मौत नसीब करवाई होती? मारो-मारो रिवाज व् आदर्श है तुम्हारा तो अपने ही गुरुओं को मारने का| तुम्हारे आका ने मार रखा आडवाणी, जिन्दा लाश बना रखा|

यही गोबर-घूं-खाना-कुणबाघाणी की शिक्षा है तुम्हारी, खुद को विश्वगुरु क्लेम करने वालो| मरोगे इसी के लपेटे में आ के एक दिन, उदाहरण पालघर|

बताओ ऐसी-ऐसी कुणबाघाणी की कथाओं को यह आदर्श बनाए घूम रहे हैं| ऐसे-ऐसे जमीन-डोले के रोले हर दूसरे जाट-जमींदार के घर होते हैं, यूँ हर कोई दूसरे दिन महाभारत सजा के खड़ा होने लगा तो बस लिए जाट-जमींदार तो|

वैसे MBA टाइम में "अश्वत्थामा हतो-हत:" का नाटक मंचन किया था मैंने अपनी टीम के साथ| नाटक को बेस्ट नाटक और मुझे बेस्ट डायरेक्टर का अवार्ड जूरी हेड मिस्टर अतुल शर्मा ने यह अनाउंस करते हुए दिया था कि "There is no competition for the first position of Best Director Award in One Act Play category as it goes to one and only Mr. Phool Kumar, competition is for the second position in this category".

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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