Tuesday 3 August 2021

क्या है जो 8 महीने बीत जाने पर भी किसान अपने धरनों की टकसाल सी निरंतर चलाए जाते हैं?

निचौड़: यह पब्लिक संसदों व् पब्लिक की क्याण (लिहाज-लाज) मानने के दस्तूर अमेरिका-यूरोप में मिलते हैं; स्वघोषित विश्वगुरु बने फंडियों के यहाँ नहीं| आगे कभी भी भूल सर मत बैठाइयो इनको|

8 महीने किसानों को सड़कों पर बिठा के भी टस-से-मस नहीं होने की मानसिकता वह वर्णवाद है, जिसमें सिर्फ उच्च वर्ण ही सब निर्णय लेता है व् इस व्यवस्था को मानने वालों के अनुसार नीचे के वर्णों की आवाज इनके अनुसार इनके यहाँ मायने नहीं रखती| सरकार व् सत्ता का अहम् नहीं है यह जो फैसला नहीं होने दे रहा, अपितु इस सत्ता में यह ऊपर बताये वर्णवाद वाले लोग आन बैठे हैं, जो तुम्हारे द्वारा आवाज उठाने मात्र को ही इनकी तौहीन मानते हैं| जो लोग बौद्धिकता का परिचय देते हुए उछाल देते हैं ना कि राजनीति बदलने से पहले सिस्टम बदलने होंगे; अवश्य बदलने होंगे, परन्तु पहले वह सिस्टम बदलो जहाँ से वर्णवाद दिमागों में घुस के चलता है; तब तौड़ मिलेगा| यह वर्णवाद तोड़ा जाएगा, तब रास्ता पाएगा!
वरना ऐसा जुल्म, ऐसा बेशर्मपना कि स्वधर्म की सरकार में सर्वधर्म के किसान 8 महीने से देश की राजधानी की दहलीज पे इन्होनें रोक रखे, ना इनको "रामलीला मैदान" में जाने दे रहे और ना इनकी सुन रहे| ऐसा नहीं कि यह "रामलीला मैदान" जाने को इनके मोहताज हैं, जाने को तो अपनी आई पे यह सीधे संसद में जा बैठें, परन्तु देश के कानून-कायदों व् सविंधान में विश्वास की मर्याद ना टूटे; इसलिए बॉर्डर्स पर ही शांति धारे अपने धरनों की टकसाल सी चलाए जाते हैं|
और यह जो 8-8 महीने से सड़कों पर बैठ के हौंसले नहीं छोड़े हैं, यह आते ही उस सिस्टम से जो हैं वर्णवाद के बिल्कुल विपरीत है यानि मुख्यत: खेड़ों, खापों, निहंगों व् मिसलों वाले लोग| खेड़ों, खापों, निहंगों व् मिसलों वालो व् अन्य इस जैसी विचारधारा के लोगो ख़ुशी मनाओ व् गर्व करो खुद पर कि इंडिया में वाकई विश्व स्तर का कुछ है, जो अमेरिका-यूरोप से मिलता है तो यह आपका स्वछंद पब्लिक ओपिनियन व् सामूहिक लीडरशिप पर चलने वाला सिस्टम; जो अधिनायकवादी फंडियों को मुसलमानों से ले ईसाईयों से भी ज्यादा चुभता है| फंडी इन्हीं दो धर्मों को इनका सबसे बड़ा दुश्मन बताते हैं ना? नहीं, इनको सबसे ज्यादा यह विचारधारा हजम नहीं; जो ताकत बन किसानों को 8 महीने होने के बाद भी यथावत जमाए हुए हैं|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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