Friday 7 February 2020

लोकलस के ऊपर बाहरी ऑफिसर्स लगाना, गुलामों का कल्चर होता है!


आईएसएस व् आईपीएस सर्विस अंग्रेजों ने इसलिए शुरू की थी ताकि उनके बंदे ही इन पोस्टों पर बैठें व् हर जिले-नगर की कार्यवाही पर नजर रखते हुए, उनको रिपोर्ट करें| और यही मॉडल आज चल रहा है, जिला होगा पंजाब का और वहां अफसर लगा हुआ है गुजरात का; जिसको ना वहां के कल्चर की समझ ना लोगो के मिजाज की|

यहाँ, फ्रांस में रीजन, डिपार्टमेंट, अरोडिस्मों व् केंटन होती हैं; इंडियन सिस्टम से तुलना करो तो क्षेत्र-स्टेट-जिला-तहसील/थाना| यहाँ स्टेट लेवल ऑफिस में वह भी कल्चरल-एक्सचेंज के तहत 5% स्टाफ ही दूसरे राज्य या क्षेत्र का लाया जा सकता है और वह भी क्षेत्र व् स्टेट लेवल ऑफिस तक| अरोडिस्मों व् केंटन लेवल पर अगर उत्तर फ्रांस में साउथ फ्रांस का कोई बंदा लगा दिया जाता है तो विरोध कर देता लोकल एडमिनिस्ट्रेशन ही सबसे पहले| डिस्ट्रिक्ट-तहसील-थाना स्तर पर 100% स्टाफ लोकल यानि उसी जिले-तहसील का पैदा हुआ बंदा/बंदी होगा| यही मॉडल USA-Canada-UK आदि में है|

ना ही यहाँ सीधा आईएसएस व् आईपीएस का कोई एग्जाम होता| जो भी डीसी-एसपी बनेगा, वह विभाग के निचले पदों से प्रमोट होकर आएगा| यानि शुरुवात सबको कांस्टेबल लेवल से करनी होती है, उसके बाद क्रमवार स्क्रीनिंग्स से गुजरते हुए डीसी-एसपी की पोस्ट तक पहुंचा जाता है| और हमारे यहाँ आज भी आईएसएस व् आईपीएस का गुलामों वाला सिस्टम लागू है|

यह दोनों ही चीजें बंद होनी बहुत जरूरी हैं| जिस दिन यह होगा उसी दिन देश वाकई में USA, Canada, UK, France आदि वालों की तरह डेवलप्ड होगा|

अब देखना इस पोस्ट पर एकाध तो इन्हीं देशों में बसा हुआ एनआरआई ही इस पोस्ट को देशद्रोही पोस्ट बताने को दौड़ा चला आएगा, इस हद तक ब्रैनवॉश है बहुत से एनआरआईयों तक का| सुख-सुविधा इन देशों की भोग रहे हैं और इंडिया में इनको गुलामों वाला एडमिनिस्ट्रेशन ही भाता है|

दुआ है कि यह चीजें या तो स्वत:खत्म हो जाएँ अन्यथा आंदोलन करने होंगे ऐसी चीजों के खिलाफ|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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