Friday 20 August 2021

पैसे व् पॉवर से बड़ी होती है unity - किसान आंदोलन ने उदाहरणों समेत इसको साबित करना शुरू कर दिया है!

इसका सबसे बड़ा उदाहरण पंजाब में सेट हुआ है|

किसान आंदोलन शुरू होते ही अम्बानी के जियो व् टावर्स के बहिष्कार के आगे अम्बानी को माफ़ी मांग चुपचाप निकलना पड़ा|
अभी इसी हफ्ते बावजूद कोर्ट से स्टे लेने के व् साइलो गोदाम व् उसकी अन्य फ़ूड यूनिट्स पर ताला लगा के पिछले 7 महीने से धरने पर बैठे किसानों को हटवाने के ऑर्डर्स लेने पर भी अडानी, जालंधर व् लुधियाना में किसानों को नहीं हटवा सका व् अंतत: उसको भी पंजाब से बिस्तरा गोल करके जाना पड़ रहा है|
जब खुद का नुकसान हुआ तो शायद इनको समझ आ गई होगी कि तुम्हारे तानाशाही व् अनएथिकल पूँजीवाद रवैये से जब तुम एथिकल पूंजीवादी उदारवादी जमींदारों को लूटने चलते हो तो कैसा महसूस होता है|
यह किसान आंदोलन लड़ाई ही अनएथिकल पूँजीवाद (फंडियों की वर्णवादी मानसिकता वाला व्यापार) बनाम एथिकल पूंजीवादी (उदारवादी जमींदार) है| जो सामंती जमींदार (वर्णवादी सोच वाले) हैं जैसे कि आरएसएस का किसान संघ; यह तो आज भी धड़ मारे पड़े हैं| सुनी है अब 8 सितंबर से आ रहे हैं किसान संघ वाले घड़ियाली आंसुओं वाला अपनापन दिखाने| वर्णवाद रहित उदारवादी जमींदारों सावधान, बचाना इनसे अपने आंदोलन को| इनको यूपी में सत्ता जाती दिख रही है, बस वहां नैया पार लगे, इतने तक साथ दिखने के आदेश हुए होंगे इनको; वरना 9 महीने तो ना दिखे ये कहीं भी| यह दूसरा उदाहरण आपकी unity की ताकत का की पावर में बैठे हुए भी अब आपके साथ दिखने लालायित हुए जाते हैं|

प्रकृति-परमात्मा-पुरखे जब साथ लग के किसी चीज को जिताने में साथ आते हैं तो ऐसा ही होता है:
गठवाला खाप व् बाल्याण खाप में फूट डलवा के आंदोलन को तोड़ने का आखिरी प्रयास था क्या फंडियों का, जो इतना आशाहीन हो चुके अपने "डिवाइड एंड रूल" के पैंतरे आजमा के कि आरएसएस का किसान संघ 9 महीने चुप व् विरोध में रहने के बाद अब 8 सितंबर से 525 जिलों में किसान आंदोलन के समर्थन में उतरेगा? बच के रे बाबा इन घड़ियालों से; जरूर यूपी-उत्तराखंड-पंजाब इनके हाथ से जा रहे हैं 2022 में यह जंच गई होगी इनको बस यह बच जाएँ थारे साथ घस्स के इतने तक की दौड़ होगी इनकी; वरना जिनकी सरकार हो उनको यह नाटक करने की जरूरत क्यों? जो एक बार मोदी को बोल दें तो आज की आज फैसला हो जाए, तो यह स्वांग क्यों?
गजब तालमेल बैठा हुआ है कि किसान संयुक्त मोर्चा स्तर से ले खाप स्तर, हर जगह फूट की कोशिशें कर ली; परन्तु दाल ना गल रही अबकी बार फंडियों की|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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