तो फिर यह गौतम अडानी व् अमित शाह को इसकी शिक्षा नहीं दी गई या यह दोनों जैन धर्म की अवज्ञा कर चुके हैं? सुनी है मोदी भी छुपे रूप से जैनी ही हैं (हिन्दुओं का मूर्ख बनाने को इस मुखौटे में छुपा बैठा बताया अन्यथा चतुर्मास के व्रत भी रखता है; जो जैन समाज का "रोजे" रखने जितना पक्का नियम है)|
अपने कल्चर के मूल्यांकन का अधिकार दूसरों को मत लेने दो अर्थात अपने आईडिया, अपनी सभ्यता और अपने कल्चर के खसम बनो, जमाई नहीं!
Thursday, 26 August 2021
सुनी है दुनियां में सबसे ज्यादा "अहिंसा" जैन धर्म पालता है!
किसान से बड़ा कोई वास्तविक योगी-तपस्वी नहीं!
Wednesday, 25 August 2021
किसान आंदोलन को इसके अंजाम तक पहुंचाने हेतु अगली कूटनैतिक डॉज क्या चाहिए होगी?
अगर सामाजिक व् आर्थिक उन्नति चाहिए तो अन्धविश्वास व् अंधश्रद्धा को साइड में रखना ही होगा| जिनको इनको साइड में रखना किसी धर्म के खतरे में आ जाने जैसा लगता हो तो वह "सन 1789 की फ़्रांसिसी क्रांति" व् 15वीं सदी की "यूरोप की ब्लैक प्लेग त्राशदी" पढ़ लें| इन दोनों घटनाओं के बाद भी यहाँ ईसाई धर्म ही है, कहीं कोई धर्म खत्म नहीं हुआ| हाँ, जो खत्म हुआ वह हुआ अन्धविश्वास व् अंधश्रद्धा; जिससे लोग बाहर आये व् सामाजिक व् आर्थिक तौर पर आज़ाद बने|
Sunday, 22 August 2021
सम्मोहन में लपेटी मार्केटिंग व् मिथ्या आध्यात्म, घरों की उधमिता (entrepreneurship) को खा जाते हैं व् जनता को बड़ी ब्रांड्स की मात्र 'कंज़्यूमर-मार्किट' बना छोड़ते हैं!
निचौड़: उधमिता सिर्फ आपको इकॉनमी नहीं अपितु कल्चर भी बचा कर देती है| अकेले मर्दों के ताश नाश ना कर रहे, लुगाई भी बराबर की आहुति डाल रही हैं| वह कैसे, नीचे पढ़ते चलिए:
Friday, 20 August 2021
पैसे व् पॉवर से बड़ी होती है unity - किसान आंदोलन ने उदाहरणों समेत इसको साबित करना शुरू कर दिया है!
इसका सबसे बड़ा उदाहरण पंजाब में सेट हुआ है|
Wednesday, 18 August 2021
बाबा गुलाम मोहम्मद जौला साहब बोले व् बुलवाये : "हर-हर महादेव, अल्लाह हू अकबर"!
एक तरीका अंधभक्तों का है जो डंडा दे के भी लोगों से "जय श्री राम" बुलवाने को निताने हुए रहते हैं और एक तरीका उदारवादी जमींदारों के प्यार-मोहब्बत का है कि मुसलमान "हर-हर महादेव" बोलता है तो हिन्दू "अल्लाह-हू-अकबर"| यह वीडियो मारो उनके मुंह पर जो कहते हैं कि मुस्लिमों से यह बुलवा के दिखा दो, वह बुलवा के दिखा दो व् खामखा भड़का के आपके अंदर मुस्लिमों पे प्रति जहर भरते हैं व् दूसरी तरफ आपके ही धर्म में आपके प्रति 35 बिरादरियों को भड़का के रखते हैं| पुरखों की लाइन पर चलो, उससे सर्वोत्तम कोई मार्ग नहीं|
Friday, 13 August 2021
बाड़ का जवाब बाड़ से दो; पर कैसी बाड़?
Thursday, 12 August 2021
जनसंख्या में आधा प्रतिशत होते हुए भी कभी जैन धर्म, फंडियों के षड़यत्रों का शिकार क्यों नहीं हुआ या होता?
रामरहीम, रामपाल, आशाराम यह आसानी से इनके शिकार कैसे हो जाते रहे हैं? यहाँ तक कि सिखी को भी इन्होनें टारगेट किया न्यूनतम एक दशक (1984-1994) तो मिटाने के जूनून तक किया| 2000 से ले 2016-17 तक खाप भी खूब टारगेट करवाई? तो ऐसा क्या है कि इन सबसे जनसख्यां में कई गुणा कम होने पर भी जैनी कभी इनके निशाने पर नहीं आते?
Tuesday, 10 August 2021
गौत का प्यार जाति-धर्म से भी बड़ा होता है, ठीक वैसे ही जैसे जाति का प्यार धर्म से भी बड़ा होता है!
अलग जातियों के मध्य साझा गौत (गोत्र) होने पर भी गौत से क्या लगाव होता है इसकी बानगी देखने को मिली बॉलीवुड एक्टर प्रेम चोपड़ा (खत्री जाति) की नीरज चोपड़ा भाई (रोड़ जाति) को गोल्ड मैडल आने की बधाई देने के लहजे वाली वीडियो से| चोपड़ा गौत चार जातियों में साझा है रोड़, खत्री, जाट व् बाल्मीकि दलित| ऐसे ही खत्री एक जाति है तो दूसरी तरफ जाटों में खत्री एक गौत है|
Sunday, 8 August 2021
"पबनावा" रोड समाज के बड़े गामों में से एक गाम; जिसके ऐतिहासिक शोध से पता चलता है कि रोड समाज हरयाणा में औरंगजेब के जमाने से भी पहले वक्तों से बसता है!
"पबनावा" रोड समाज के बड़े गामों में से एक गाम; जिसके ऐतिहासिक शोध से पता चलता है कि रोड समाज हरयाणा में औरंगजेब के जमाने से भी पहले वक्तों से बसता है व् मराठा नहीं अपितु जाट समाज की तरह ही एक उन्मुक्त समाज है इस शोध से इसके व्यापक प्रमाण मिलते हैं:
Friday, 6 August 2021
एक अंधभक्त ने आजतक पे चौधरी राकेश टिकैत व् अंजना ॐ कश्यप की 'लखनऊ पंचायत' को प्रायोजित बताया!
आज आजतक टीवी पे अंजना ॐ कश्यप के साथ टीवी पंचायत कार्यक्रम में चौधरी राकेश टिकैत द्वारा "जयपुर हाईकोर्ट में पीछे किसी साल में 15 अगस्त के दिन संघ के बीजेपी सीएम द्वारा तिरंगे की जगह भगवा फहराने" की बात उठाने को एक अंधभक्त ने उन्हीं की दी हुई स्क्रिप्ट बताया|
फंडी कैसे समाज में polarisation व् manipulation का गेम खेलते हैं, उसकी इस धाती से समझिए!
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
Tuesday, 3 August 2021
क्या है जो 8 महीने बीत जाने पर भी किसान अपने धरनों की टकसाल सी निरंतर चलाए जाते हैं?
निचौड़: यह पब्लिक संसदों व् पब्लिक की क्याण (लिहाज-लाज) मानने के दस्तूर अमेरिका-यूरोप में मिलते हैं; स्वघोषित विश्वगुरु बने फंडियों के यहाँ नहीं| आगे कभी भी भूल सर मत बैठाइयो इनको|