Friday 22 January 2016

अरोड़ा/खत्री भाईयो भाईचारे से रहो और रहने दो!

सुनने में आ रहा है कि कल रोहतक में अरोड़ा-खत्री समुदाय के लोगों ने इक्कट्ठा होकर चौ० हवा सिंह सांगवान जी पर देशद्रोह का मुकदमा दायर करके उन्हें जेल में डलवाने बारे फिर से ज्ञापन दिया है?

ऐसा है पाकिस्तानी मूल के मेरे भारतीय भाईयो, पाकिस्तान से 1947 में आपके व्यवहार से तंग आ के मुस्लिमों ने आपको जूते मारे; तो आप मुल्क-विभाजन के नाम पे मुख्यत: वर्तमान हरयाणा-पंजाब में आ के बस गए| हरयाणवी समाज तो मस्त-मौला समाज था सो आपको सहन कर गया और आज भी कर रहा है| सहन कर रहा है क्यों बोल रहा हूँ, क्योंकि जिस 'पंजाबी' शब्द को आप अपने पे थोंप के खुद को पंजाबी बताते नहीं थकते उसी पंजाब में जब आप लोगों की तुच्छ हरकतों की वजह से आतंकवाद भड़का तो वहाँ के असली पंजाबी ने यह भांपते हुए एक पल की भी देरी नहीं की कि इस समस्या की जड़ कौन है और 1947 की तरह 1986 से 1992 तक आपको चुन-चुन के पंजाब से खदेड़ा गया| और यह मैं हवाओं में नहीं बोल रहा हूँ, सरकारी आंकड़े बोलते हैं| हम हरयाणवियों ने तो आपको अम्बाला-दिल्ली जीटी रोड बेल्ट पे फिर भी शरण दी| पर लगता है हमारी महानता को आप लोग हमारी मूर्खता समझ बैठे हैं?

हाँ शायद तभी तो खट्टर कहता है कि हरयाणवी कंधे से नीचे मजबूत और ऊपर कमजोर होते हैं| पर हम जो भी होते हैं हम न्यायकारी और सौहार्दी होते हैं|

एक दो हरफी बात कहता हूँ आपको, वो जैसे केजरीवाल ने जेटली को कही थी कि जिस आदमी का कोई सामाजिक सम्मान ही नहीं तो उसकी मानहानि कैसी? तो ठीक वैसे ही आप भी यह मत समझो कि अगर मोदी की मेहरबानी से खट्टर सीएम बन गया तो यह कोई हरयाणा की जनता में उसकी या आपके समाज की अच्छी साख की वजह से बना है| गैर-भाजपाई तो छोडो, खुद हरयाणा भाजपा के अंदर कितना रोष है इस सीएम को ले के यह किसी से छुपी बात नहीं|

इसलिए इन बेकार की टिच्चड़बाजियों की बजाये हरयाणा में कैसे हरयाणवी समाज से मिलझुल के रहना है इसपे हरयाणवी से मिलके काम करो| वर्ना यह आप भी जानते हो कि कानूनी तौर पर आप लोग आज भी रिफूजी ही हो; और एक पल को कानूनी स्टेटस बदला मानो तो पाकिस्तानी मूल के तो फिर भी कहे जाओगे| सदियों-सदियों तक कहे जाओगे|

फिर भी इतना ही न्यायप्रिय बनने का शौक चढ़ा हुआ है तो पहले खट्टर से कहो कि वह हर्याणवियों को कंधे से ऊपर कमजोर कहने पे माफ़ी मांगे| हम इसपे खट्टर को जेल में डलवाने की नहीं कह रहे, हम बड़े करुणामयी लोग हैं माफ़ी में ही काम चला लेंगे| और अगर यह नहीं कर सकते तो बंद करो अपनी यह नौटंकी की दुकानें, इनसे आप लोग हवा सिंह सांगवान जी तो क्या उनके आसपास की हवा का भी कुछ नहीं बिगाड़ पाओगे| और उस हवा का नाम है मेरे जैसे सीधी और बिना लॉग-लपेट की बात कहने वाले अपनी माँ हरयाणवी को समर्पित लोग|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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