Friday 22 January 2016

सर छोटूराम गुस्सा करना या दिखाने की बजाये उसको पालना सिखाते थे!

सर छोटूराम मंडी-फंडी के खेल को उजागर कर अपने कैडर को उनसे सावधान रहना और उनसे कम्पीट करने हेतु कैपेसिटी बिल्डिंग सिखाते थे| वो मंडी-फंडी को एक्सपोज करते थे बिलकुल सही है परन्तु वो उनसे नफरत करने की बजाये, उन द्वारा मारे गए हमारे हक और उनके धंधे कैसे उनसे एक्वायर किये जाएँ, इस पर जोर देते थे| वो नफरत करना नहीं सिखाते थे और यही हमें ध्यान रखना होगा, हमें मंडी-फंडी से नफरत करने में नहीं उलझना बल्कि हमें यह रास्ता सुनिश्चित करना है कि मंडी-फंडी को इस दायरे में समेट दिया जाए कि वो हमारे खिलाफ प्रोपगैंडे करने जैसी खतरनाक अवस्था ही अख्तियार ना कर पाये कभी|

बहुतों को कहते हुए सुना है कि सर छोटूराम की वजह से हरयाणा के गाँवों-के-गाँव मंडी-फंडियों से खाली हो गए| बस हमें भी कुछ ऐसा ही चाहिए कि यह फिर से आन घुसे मंडी-फंडी इन्हीं की मार से ऐसे मारे जाएँ, कि स्वत: ही हरयाणा कहो या जाटलैंड कहो, इसको छोड़ जावें|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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