Wednesday 8 June 2016

जाटों से वसूला जाएगा फ़ौज का खर्चा, इसके लिए उनकी जमीनें नीलाम करीं जाएंगी! - आईजी हिसार

देखो आईजी साहब, इस भभकी से यह सोचते हो कि कानूनी अधिकार के तहत शांतिपूर्ण धरना भी ना करें तो वो हरयाणवी में कहते हैं ना "जा के बालक खिलाओ"।

बहुत खूब हरयाणा सरकार के साथ-साथ यह अफसर भी सठिया गए हैं। ना और ले लो जाटों से पंगा। कुत्ते की हड्डी गिटक ली डेड स्याणों ने, ना उगले बन रही ना निगले। क्या जाटों ने कहा था क्या कि फ़ौज-फ़ोर्स बुलवाओ?

अब कानून की बात सुन लो आईजी महोदय, सिक्यूरिटी एजेंसीज का खर्चा वो उठाते है जो उन्हें बुलाते हैं जो सिक्यूरिटी लेते हैं, ना कि वो जिनकी वजह से सिक्यूरिटी लेनी पड़ती है| खट्टर ने फ़ौज बुलाई ब्रिगेड और आरएसएस के ट्रेंड-कबूतरों की जाटों से सुरक्षा के लिए और खर्चा भरेंगे जाट, आईजी आपको बावळी गादडी तो नी पाड़ गी (काट खाया)?

फिर भी अगर हरयाणा में पड़ी फ़ौज का खर्चा जाटो से लेना चाहते हो तो सरहद पर पड़ी फ़ौज का खर्चा पाकिस्तान, चीन, नेपाल और बांग्लादेश से क्यों नहीं लेते? कश्मीर में पड़ी फ़ौज का खर्चा कश्मीरियों से क्यों नहीं लेते? क्यों भारत की गरीब जनता से टैक्स में लिए रूपए में से रोज 150 करोड़ क्यों खर्चा जाता है फ़ौज पर?

आपने, खट्टर ने और मोदी ने खेलनी-मेलनी माता देखी होंगी, जाट की कूटनीति ना देखी थी। तब तो चौड़े हुए फिरे रहे कंधे से ऊपर की मजबूती के दावे ठोंकते। और जाट ने अपनी कंधे के ऊपर की मजबूती दिखाई तो ब्या लिए इतनी देर में। जब जाटों ने अबकी बार शांतिपूर्ण धरने की कही थी और शांतिपूर्ण ही कर रहे हैं तो बाबा जी ने कही की फ़ौज-फ़ोर्स बुलवाने की? और अब बुलवाई है तो उठाओ खर्चा।

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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