Saturday, 25 March 2023

खालिस्तान किसी जाट या जट्ट का कांसेप्ट कभी था ही नहीं और ना हो सकता!

यह कांसेप्ट जगजीत सिंह चौहान का है व् उसी का यह मूवमेंट रहता है; फंडियों के इशारे पे|


फंडी की फिलॉसोफी है कि इसको लोकतंत्र व् गणतंत्र से खासी चिढ है यह इसके जेनेटिक रूप से अपोजिट है| संत भिंडरावाला की मांग हमेशा स्टेटस को ज्यादा राइट्स देने की रही (अमेरिका की तर्ज पर), जिससे कि लोकतंत्र व् गणतंत्र जिन्दा होता है| इससे बचने के लिए फंडी इस मुद्दे को एक काल्पनिक सोच तक ले जाता है जो इसकी एक्सट्रीम फंडी लोग मानते हैं| कि आज स्टेटस को राइट्स दे दिए तो कल को हमारे को कौन पूछेगा| यह पेंशन स्कीम बंद करने जैसा मामला है कि लोगों को आर्थिक तौर पर इतने संबल होने ही मत दो कि वह अपनी रोजी-रोटी को छोड़ लोकतंत्र बारे सोचने का वक्त भी पा सकें, बुद्धि चलाने तक तो पहुंचना ही नहीं चाहिए|

इनको चिढ़ है जब कोई सामाजिक तौर पर समाज में इनसे ज्यादा रेपुटेशन रखता हो या रखने लग जाए| किसान आंदोलन 2020-21 ने इसमें जो भी अग्रणी जातियां या संस्थाएं रही जैसे कि जाट-जट्ट व् खाप और गुरूद्वारे; इन चारों का विश्व स्तर पर रुतबा बढ़ा है| और इसको बढ़ाने में सहायक किसान आंदोलन के क्योंकि सूत्रधार सिख थे तो अब यह खालिस्तान का फिर से मुद्दा इनका हवा दिलवाया हुआ है देश व् विदेश दोनों जगह| ताकि जट्टों की रेपुटेशन डाउन की जाए व् इनसे जाट हतोत्साहित हो जट्टों से अलग हो जाए| इससे ज्यादा कुछ भी नहीं है यह मामला|

संत भिंडरावाला हो या कोई और जट्ट उसने हमेशा खालसराज की बात करी; इसको एक स्टेप आगे के पंख फंडी लगवाते हैं लोगों को पैसे फेंक कर| फिर भी किसी खालसा वाले को कहना ही है तो वह यह लाईन ले कि हम पूरे देश को ही खालिस्तान बनाएंगे जैसे यह हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं| और जो वाकई में फंडियों से लड़ने की सोच रखता होगा वह इस लाइन पे चल के ही काम करेगा और ऐसे संत भिंडरावाला जी ने किया था|

दूसरा पार्ट यह भी देखो कि यह किसी जाट या जट्ट का कांसेप्ट क्यों नहीं है? क्योंकि खालिस्तान में पाकिस्तानी पंजाब का भी आधा पार्ट आता है, क्या उधर कोई हलचल दिखती है? नहीं, hence proved, it has been a purely fandi agenda!

जय यौधेय! - फूल मलिक 

Friday, 24 March 2023

इस पर अब शायद ही कोई शंका हैं कि बिश्नोई पंथ के संस्थापक जांभोजी का जन्म जाट जनजाति में हुआ!

इस पर अब शायद ही कोई शंका हैं कि बिश्नोई पंथ के संस्थापक जांभोजी का जन्म जाट जनजाति में हुआ।

स्वयं वो बिश्नोई, जो यह मानते हैं कि जांभोजी पवार राजपूत थे, बताते हैं कि जांभोजी की बुआ का विवाह नानेऊ गांव के “महिपालजी ईसरवाल” जाट के साथ हुआ था। तो क्या पहले राजपूत अपनी बेटियों का विवाह जाटों से करते थे? क्या राजपूत इस बात को स्वीकार करते हैं?
जांभोजी के नाना “मोहकमजी खिलेरी” थे। खिलेरी जाटों की एक बड़ी गोत हैं, जो पाकिस्तान एवं पंजाब में भी पाई जाती हैं। बही-भाटों ने खिलेरी जाटों को भाटी “नख” दे रखा हैं, जिसके आधार पर और राजपूत जागीरदारों के इशारों पर जांभोजी के परिवार का राजपुतिकरण किया गया हैं।
बही-भाटों ने पवार जाटों को परमार राजपूत बना दिया और खिलेरी जाटों को भाटी राजपूत बना दिया। लेकिन यह सच्चाई हैं कि जांभोजी के ननिहाल वाले खिलेरी जाट थे, जो अब बिश्नोई पंथ में दीक्षित हैं।

Shivatva Beniwal

नमन प्रणाम आसन, शशांक आसन और नमाज; तीनों को करने की पोजीशन व् उद्देश्यों में समानता देखिए!

फंडियों का बचकानापन देखिये:


नमन प्रणाम आसन व् शशांक आसन, हिन्दू करे तो योगा; 

और इन्हीं दोनों आसनों में मुस्लिम नमाज अदा करते वक्त होता है| 


परन्तु स्वमहिमा में अंधे फंडी क्या बर्गलाएँगे, उसका क्या-क्या कह के मजाक बनाया जाता है कहने की जरूरत नहीं| 


बर्गलाएँगे कि हम जो करते हैं वह योग है, तप है; परन्तु उसी को मुस्लिम करे तो उपहास उड़ाएंगे; जबकि मुस्लिम वाले में वह एक नहीं बल्कि दो कार्य सिद्धि एक साथ कर रहा होता है; एक तो अल्लाह को प्रार्थना व् दूसरा जो योग वाले के साथ कॉमन है यानि दिमाग में ब्लड-सर्कुलेशन बढ़ाना| 


और जब इसको करने की बात आती है तो देखें कि किस धर्म वाले इसको करने में सबसे अधिक नियमित हैं? हर कोई कहेगा मुस्लिम| यह लोग रोज दिमाग में  ब्लड-सर्कुलेशन कर लेते हैं व् योग वाले कितने % करते हैं; शायद कुल के 10% भी नहीं| 


आज के मुस्लिम इसके पीछे क्या तर्क देते हैं, एक तर्क देते हैं या दोनों तर्क देते हैं; परन्तु यह माइंड में ब्लड-सर्कुलेशन सबसे नियमित करते हैं| इनके जिस भी पैगंबर ने यह तरीका इनको दिया, जब भी दिया कमाल का दिया है| 


ऐसे ही इनका खतने का सिद्धांत है, इस पर फिर कभी लिखूंगा| और खतना भी सिर्फ मर्द का नहीं, औरत का भी| इसका भी खूब मजाक उड़ाते हैं लोग, परन्तु यह प्रैक्टिस कितने मानसिक-शारीरक-मनोवैज्ञानिक बल बढ़ाने के फायदे देती है; जानोगे तो हैरान रह जाओगे| 


फ़िलहाल बात यह है कि कोई किसी का मजाक तभी उड़ाता है जब उसको सामने वाले से इन्फेरियरिटी काम्प्लेक्स हो; अब फंडी जब खुद योगा में यही करते हैं जो मुस्लिम नमाज में करते हैं तो फंडी ही क्यों नमाज की पोजीशन का मजाक करते पाए जाते हैं? मुस्लिम तो नहीं देखे कभी नमन योगा व् शशांक योगा पर उपहास करते। बस यही गंभीरता इनको विश्व में एज देती है| 


बाकी कोई रोता-पीटता इस पोस्ट तक पे भी कुछ भी बकता रहे!

  

जय यौधेय! - फूल मलिक  

Wednesday, 22 March 2023

कैसे तोड़ा तथाकथित 35 बनाम 1 करके सरपंची का चुनाव जीतने की चाह रखने वाले फंडियों का सपना!

फरवरी 2016 में नया ईजाद हुआ 35 बनाम 1 का प्रपंच, कईयों में आखिरी तीर व् आश की तरह आज भी बचा हुआ पाया गया है| ऐसे में हमने भी 2-4 गांव में इन प्रपंचियों के सपनों को कुछ निम्नलिखित तरीके से पानी पिलाया| 35 बनाम 1 बार-बार लिखूंगा तो लम्बा शब्द हो जाएगा, इसलिए इससे आगे इसको "फंडी" पढ़ें!

हमारी टीमों ने उनके गांव में पाया कि उनके गामों में जनरल की सरपंची आई हुई है व् जो भी फंडी सरपंच की रेस में खड़ा है; उसका अलग-अलग बिरादरी के आगे वोट मांगने का क्या तरीका है यानि क्या मोडस-ऑपरेंडी है? हमारी टीमों ने कुछ यह पैटर्न पाया:
1) फंडी जब दलित/ओबीसी के यहाँ वोट मांगने जाता है तो कैसे मांगता है: "जाटों के जुल्मों तले कब तक दबे रहोगे?", "जाटों की दबंगई खत्म करनी है तो हमें वोट दो"|
2) फंडी जब जाट के यहाँ जाता है तो कैसे मांगता है: "जाट तो गाम का मोड़ हों सें; जाट बिना कौन गाम चला ले"; "जाट, तो म्हारे जजमान हो सें; थारे बिना म्हारा कौन काम चला दे"|
हमारी टीमों से मिले इस फीडबैक पर, हमने टीमों से कहा कि दलित/ओबीसी भाइयों व् जाट भाइयों में जो भी इनकी नस्लीय वर्णवादी व् स्वर्ण-शूद्र वाली अलगाववादी मति से वाकिफ है व् जो अभी भी सीरी-साझी कल्चर की अच्छाई से वाकिफ है उनसे सम्पर्क करो| व् दोनों ही तरफ कहो कि अबकी बार जब यह फंडी वोट मांगने आवे तो फ़ोन पे ऑडियो रिकॉर्ड कर लो| और ऊपर पाई गई बातें खासतौर से रिकॉर्ड करवानी हैं| कहीं एक ट्राई में काम चल गया; कहीं 3-4 ट्राई में बात बनी परन्तु जिन-जिन गांव में हमारी टीमों ने यह एक्सपेरिमेंट किया; वहीँ हमें ऑडियो रिकॉर्ड करने में सफलता मिली|
फिर हमने निर्धारित किया कि अपने-अपने गाम के व्हाट्स-ऐप ग्रुप्स में व् लोगों को व्यक्तिगत तौर पर यह ऑडियो इंटरक्रॉस पास कर दो; यानि दलित-ओबीसी भाइयों के यहाँ यह जो बोलते हैं; वह जाटों के नंबरों पे भेज दो व् जो जाटों के यहाँ बोलते हैं, वह दलितों के नंबरों पे भेज दो| जो जाट-दलित-ओबीसी सभी के कॉमन ग्रुप्स हैं, वहां सभी की भेज दो| दूसरा काम यह किया कि जो लोग "सीरी-साझी कल्चर" को आज भी पसंद करते हैं, उनको बैठकों में मुखर करवा दिया; परन्तु यह ध्यान रखते हुए कि वहां फंडी का कोई साथी न बैठा हो| यह काम हुआ और गाम में फंडी सरपंच कैंडिडेट्स की ऐसी सिट्टी-पिट्टी गुम हुई कि जिन भी गामों में यह एक्सपेरिमेंट किये; फंडियों की तगड़ी हार हुई|
इससे बड़ा कोई और तिलिस्म नहीं है इनके पास| यह खुद को जिस मैनीपुलेशन व् पोलराइज़ेशन के एक्सपर्ट बोलते हैं; वह यह इतना सा ही बुलबुला है| बस जरूरत है आप-हम जैसे समाज के लोकतान्त्रिक लोगों द्वारा इस ऊपर बताये तरीके से एक्टिव होने की| इन तरीकों से लड़ना होगा आज के दिन इनसे पार पाना है तो, ट्रैन कर लो खुद को इनपे वक्त रहते|
अभी हरयाणे में विधानसभा चुनाव भी आएंगे; व् यही फंडी केटेगरी अभी से एक्टिव भी चुकी है; सबसे ज्यादा करनाल लोकसभा में एक्सपेरिमेंट चल रहा है| वहां पर टारगेट है कि जाट व् रोड को एक नहीं होने देना है| इसके लिए रोड़ों को मराठा बता के उनको "मराठा प्राइड" की लाइन पे ले जा के जाट से तोडा जा रहा है| परन्तु मैं इस बिंदु पर रोड बंधुओं को संदेश दूंगा कि "मराठा प्राइड तो पेशवाओं के घमंड ने पानीपत में तोडा था; जब यह जाटों को दुत्कारते हुए खुद समेत आपकी बलि चढ़ा गए; ज़रा याद करें, उसके बाद आपकी, आपके महिला-बच्चों की क्या दुर्गति हुई थी? अगर यही जाट न होते तो पानीपत से ले भरतपुर तक कौन मदद करता; किसने फर्स्ट ऐड करी थी आपकी? किसने आपको अपनों की तरह अपना के अपने यहाँ अब्दाली से भय ना खाते हुए भी मदद की थी"? इसलिए उस वक्त भी आपने पेशवाओं ने प्रपंच में फंसा के मरवाया व् अभी भी आपके साथ यही छल हो रहा है; बचें इससे| व् जिस जाट के साथ कल्चर-खेती समेत हर आचार-व्यवहार है, उससे ऐसे छिंटकेंगे तो आपको छिंटकवाने वाले भी क्या ही कद्र करेंगे आपकी|
व् ऐसे ही बेहूदे तर्कों से बाकियों से तोड़ने की कवायदें फंडियों की लगातार जारी हैं|
इन बिरादरी सम्मेलनों से कुछ नहीं होना जाना; कुछ करना है तो इस लेख जैसे उदाहरण वाला करें, अपने-अपने एरिया में|
जय यौधेय! - फूल मलिक

Wednesday, 15 March 2023

15 मार्च 1206 यानि आज का दिन!

15 मार्च 1206 यानि आज का दिन - वह ऐतिहासिक दिन जब खोखर खाप चौधरी दादावीर रायसाल खोखर जी व् उनकी खाप-आर्मी ने 1192 में मारे किंग पृथ्वीराज चौहान के कातिल मोहम्मद ग़ोरी को मारा था!


त्यौहार-उत्सव मनाने हैं तो इन तारीखों के मनाया करो; इन वास्तव में हो के गए पुरख-यौधेय सकल भगवानों के मनाया करो; उस खाप-मिल्ट्री कल्चर के मनाया करो, जिससे यह बनते आये| बाकी भी मना लो, जो मनाना हो परन्तु इनको मनाने व् भगवान मानने से कौन रोकता है या रोक सकता है?

बताओ जिन कामों के लिए तथाकथित बड़े-बड़ों के हांगे लाग लिया करते; इहसे-इहसे काम म्हारे चौधरी चालते-फिरते कर दिया करते| बाकी चौधरियों ने जब-जब राजे-रजवाड़े भी बनाये तो ऐसे ही बेमिसाल बनाये, चाहे वो पंजाब की मिसलों के बनाये हों या थानेसर-भरतपुर-बल्लबगढ़-मुरसन आदि वाले खाप-चौधरियों के हों!

जय यौधेय! - फूल मलिक 

Saturday, 11 March 2023

Jat People Chronology

  1. राजा पोरस (सिकन्दर को हराया)
  2. राजा यशोधर्मन विर्क (हूणों को हराया)
  3. राजा स्कंद्रगुप्त (यूरोप में जाकर राज किया)
  4. राजा कनिष्क (पहली सर्वखाप मीटिंग सौंख)
  5. राजा विक्रम पंवार (21 देशों को जीता)
  6. राजा समुद्रगुप्त (जाट राज विस्तार)
  7. रानी तोमिरिस (साइरस को मारा)
  8. हर्षवर्धन (जाट सर्वखाप पुनर्गठन)
  9. अनंगपाल सिंह 1st (इंद्रप्रस्थ बनाया)
  10. सलक्षपाल (चौधराहट प्रणाली लागू की)
  11. अनंगपाल 2nd (8 खेरे और दिल्ली बसाई)
  12. जाटवान मलिक (ऐबक हराया)
  13. रायसाल खोखर (गौरी मारा)
  14. नाहरपाल (खिलजी हराया)
  15. बच्छराज(मेरा खेरा बाबा)
  16. सुरत सिंह (राणा कुब्बा हराया)
  17. गोकुल जाट (औरंगजेब हराया)
  18. सुखपाल सिंह (औरंगजेब हराया)
  19. राजाराम(सिकंदरा खोदा)
  20. रामकी चाहर (औरंगजेब हराया)
  21. हठी सिंह (जयपुर मेवात हाड़ौती बलूच मुगल हराए)
  22. चूरामन (फर्रुख्धियर हराया)
  23. सूरजमल जाट (जो भिड़ा वही हराया)
  24. जवाहर सिंह (जो भिड़ा वही हराया)
  25. फौंदा सिंह (अब्दाली भगाया, राजपूत हराए)
  26. बनारसी सिंह (दौसा, करौली, अलवर जीते)
  27. अनूप सिंह (मुगल राजपूत पठान हराए)
  28. तोफा सिंह (70 हज़ार पठान हराए)
  29. शीशराम (सआदत खां हराया)
  30. बच्चू सिंह (फिरंगी भगाए)
  31. रणजीत सिंह (जो भिड़ा वही कूटा)
  32. नलवा (जो भिड़ा वही कूटा)

Thursday, 9 March 2023

प्रोटैस्टेंट (Protestants) ईसाईयों व् खाप यौधेयों में समानताएं!

1 - दोनों में मर्द-पुजारी रहित धोक-ज्योत की परम्परा है| जैसे खापलैंड के दादा नगर खेड़ों-भैयों-भूमियों के मूल-सिद्धांत में मर्द-पुजारी कांसेप्ट नहीं है, ऐसे ही प्रोटेस्टेंट्स की चर्च में पादरी नहीं होते| 

2 - दोनों के मूल सिद्धांतों में माइथोलॉजी नहीं मानी जाती| 

3 - दोनों साइंटिफिक व् तार्किक रहे हैं| 

4 - दोनों मूर्ती-पूजा को मिथ्या कहते हैं| 

5 - दोनों जहाँ-जहाँ बसते हैं अथवा बसते आये हैं; वो उस देश-जगह के सबसे खुशहाल, वर्णवाद टाइप की बीमारी से न्यूतम ग्रस्त व् साधन-सम्पन्न इलाके हैं; जैसे इंडिया में खापलैंड व् मिसललैंड और यूरोप में नार्डिक देश (डेनमार्क, नॉर्वे, आइसलैंड, फिनलैंड), आयरलैंड, स्वीडन, इंग्लैंड, नीदरलैंड| वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स की लिस्ट में यही देश टॉप लिस्ट में हैं| 


विशेष: इस पोस्ट से कोई यह बेसिरपैर मत मारना कि अब तुम हमें ईसाई बनाओगे क्या? मैंने सिर्फ एक रिसर्चर के तौर पर एक सकारात्मक पहलुओं की तुलनात्मक बात रखी है| इंडिया से इस पहलु पर कुछ वर्ल्ड स्टैण्डर्ड का है तो इन पैमानों से जीने वाले समाजों की यह थ्योरी उनमें से एक है|  


सावधान: खापलैंड जो इन पहलुओं पर सदियों से जागरूक रही है व् इनसे मुक्त रही है; उसको अब फंडी पुरजोर लगा के इसी गर्त में खींच रहे हैं| प्रोटेस्टेंट्स ने इस गर्त से 1500वीं सदी में लगभग दो सदी के खून-खराबे के बाद छुटकारा पाया था; जबकि खापलैंड वालो आप कभी से इनसे मुक्त रहे हो| परन्तु अब इन्हीं में घेरे जा रहे हो; इसलिए सचेत-सतर्क-सावधान हो जाओ| वरना कोई फायदा नहीं, कि इन फंड-पाखंडों से मुक्त समाज-धरती को पहले ऐसी गर्त में डलवाने का व् बाद में अगली पीढ़ियां इसी से मुक्ति पाने को संघर्ष करने में अपनी जिंदगी खोवें; ऐसी स्थितियां उनको दे के मत जाओ|  


जय यौधेय! - फूल मलिक 

Sunday, 5 March 2023

चुगली करने बारे औरतों को तो खामखा बदनाम किया, "ढोल-गंवार-शूद्र-पशु-नारी, सब ताड़ना के अधिकारी" लिखने की मानसिकता वालों ने; असली व् सबसे बड़े चुगलबाज तो यह खुद हैं!

यकीं ना हो तो देख लो आजकल हरयाणे म्ह|

2024 के लोकसभा व् विधानसभा चुनाव जीतने हेतु नीचे-नीचे फिर से वही जाट बनाम नॉन-जाट फैलाया जा रहा है और तरीका क्या है?
दलित-ओबीसी भाई के सामने: "जाटा कै के जड़ राखी सै चौधर, जाट फेर तें सत्ता में आ गए तो थमनें खा ज्यांगे (हाँ, जाणू आज तैं पहल्यां तो दलित-ओबीसी भाई इनके बसाए ही बसे जाटों के बीच सदियों से), थारा के जातीय प्राइड सै कोनी (हाँ, जाटां नैं तो पुणे के पेशवों की भांति गळे में थूक की हांडी व् कमर पे झाड़ू बाँध राखी थी, थारे बताने से पहले तक)|
और यही लोग जाट के आगे क्या बोलते हैं: भाई थम तो चौधरी सो समाज के, जजमान सो म्हारे; थारे बिना के सै म्हारे धोरै; जाट ना हो तो हम तो भूखे ही मर जावां आदि-आदि!
बस यही है इनका 35 बनाम 1 करने का तरीका; व् इसी तरीके में इसकी काट छुपी है; जो मैं व् म्हारी टीम प्रैक्टिकल करके के इसको फ़ैल करते रहते हैं व् जहाँ-जहाँ ट्राई किया जबरदस्त सफलता हाथ लगी|
तरीका क्या है?: जब यह दलित-ओबीसी-जाट किसी के भी आगे जाट बारे जो-जो कहने आवें, उसको चुपके से रिकॉर्ड कर लो व् व्हाट्स ऐप ग्रुप्स में वायरल कर दो| ताकि लोगों को खड़े-पां इनकी "कंधे से ऊपर की स्वघोषित मजबूती" के तुरता-तुरति दर्शन हो ज्यां| बस यही है इनकी तथाकथित कंधे से ऊपर की मजबूती| इनका सांग सिर्फ इतना सा है कि "अगला शर्मांदा भीतर बढ़ गया, और बेशर्म जाने मेरे से डर गया"| They survive nothing but your absence on this front to counter it और हद से ज्यादा थारी उदारवादिता; सुहान्दे-सुहान्दे उदारवादी रहो, for granted स्तर तक मत उदारवाद धारो|
व् आपकी इतनी सी सक्रियता इनको नाकों-चने चबवा सकती है|
इसलिए जो भी हरयाणा के मूल कल्चर-सिस्टम-भाषा से प्यार करने वाला हो, यह करे| यह तो ऐसे जाएंगे जहां से जैसे भेड़ों के सर से सींग|
दलित-ओबीसी भाइयों से अपील: कोरेगांव की घटना में पेशवाओं को तभी पराजित कर सके थे आप लोग, जब मराठे आपके साथ थे| हरयाणे में जाट वही हैं आपके लिए| इनसे इस चक्र में मत छिंटको कि म्हारी बेशक दोनों फूटें, परन्तु जाटां की एक फूट रही है, वह बहुत म्हारे लिए| यह सोच बहुत आत्मघाती है| जाट तो फिर भी इनके हमलों से बच निकलेंगे अंत दिन, पर जो अगर थम यूँ ही छिंटके रहे तो इनके द्वारा आपके लिए फिर वही महाराष्ट्र वाली गले में थूक की हांडी व् कमर पे झाड़ू तैयार मिलेंगी; जिनसे छूटने को फिर से जाट चाहिए होंगे| इसीलिए जाटों से अगर कोई चूक हो भी रखी है तो वक्त रहते बैठ-बतला के सुलटा लो; वरना 2024 में ये आये और सविंधान बदला| और उसके बदलते ही क्या लागू होगा, कहने की लोड कोनी|
और जाट समाज के भी जितने चिंतक हैं, कृपया इस पहलू पे ऊपर बताये तरीके से सक्रिय हो जाओ; वरना वक्त आप-हम पे भी बहुत भारी है अभी आगे|
जय यौधेय! - फूल मलिक