Monday 24 August 2015

नहीं जाट-नेता मात्र हस्ती थारी!

जो सर छोटूराम को कभी अंग्रेजों का पिठ्ठू तो कभी सिर्फ जाट नेता मात्र आंक के देखते हैं या जाट-नेता तक सीमित करने की कुचेष्टा रखते हैं और इस हेतु ऐसा प्रचार तक करते हैं, वो जरा इस कविता को पढ़ लेवें और पढ़ने पर बता भी देवें कि कौन गांधी, कौन नेहरू, कौन जिन्नाह और कौन आर.एस.एस. हुई जो आज़ादी से पहले खुद उनकी जातियों तक के लिए ऐसे कार्य कर गए जैसे मेरे रहबरे-आजम ने किये? आर.एस.एस. समर्थित तो आज सरकार भी है, जरा जो सर छोटूराम कर गए उसके छटाँक भी आम भारतीय के लिए करके दिखा देवें तो मैं आजीवन स्तुति करूँ:

सर चौधरी छोटूराम रहबरे-आज़म थे,
दो राष्ट्र सिद्धांत को जड़ से ही मिटाया था|
मुहम्मद अली-जिन्नाह का मुंह थोब उसको,
पंजाब से चलता कर बम्बई का रस्ता दिखाया था||

असहयोग आंदोलन पे गांधी को चेताया था,
किसान-मजदूर ही क्यों व्यापारी भी करे|
विदेशी व्यापार का बहिष्कार, यूँ फरमाये थे,
देख तेवर रहबर के गाँधी भी थर्राये थे||

किसानों को जमीन के मालिकाना हक मिले यूँ,
अंग्रेजों के आगे गोल - टेबल बढ़ाई थी|
अजगर को ही देवें किसानी स्टेटस परन्तु,
ब्राह्मण-सैनी-खाती-छिम्बी को भी मल्कियत दिलवाई थी||

हिन्दू औ मुसलमान मिलकर एक किये,
भाई-भाई का हृदय मिलन कराया था|
राष्ट्र का दुर्भाग्य रायबहादुर स्वर्ग गए,
मानवता शत्रुओं ने राष्ट्र बंटवाया था||

अनपढ़ जाट पढ़े जैसा, पढ़ा जाट खुदा जैसा,
यह कहावत वाकई में सिद्ध करके दिखाई थी|
पढ़ा ब्राह्मण समाज तोड़े, पढ़ा जाट समाज जोड़े,
जीती-जागती मिसाल इसकी बनाई थी||

'फुल्ले भगत' करे नमन मसीहा,
दलित-मजदूरों के हिमायतकारी,
करूँ सुनिश्चित आप कहलाएंगे रहबर सबके,
नहीं जाट-नेता मात्र हस्ती थारी!

लेखक: फूल मलिक

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