Monday 24 August 2015

भारत में लठतंत्र के प्रकार!

1) स्वघोषित राष्ट्रवादी लठतंत्र: आरएसएस इसको देश में इसकी स्थापना के वक्त से चला रही है|

2) क्लब बाउंसर लठंतत्र: हर डांसिंग क्लब, बार क्लब, रेव पार्टी स्टेज पर बौन्सर्स होते हैं जिनको अति-विशिष्ट विषम परिस्थिति में लठ चलाने की भी इजाजत होती है|

3) लव-कपल बीटिंग लठतंत्र: राम सेना, शिव सेना, बजरंग दल, रणवीर सेना को अक्सर वैलंटाइन डे, चॉक्लेट डे, फ्रेंडशिप डे, रोज डे आदि-आदि डेज के वक्त लव-कपल्स को लात-मुक्के-लाठियों से भांजते हुए यह लोग इस तंत्र को बखूबी निभाते हुए देखे सुने जा सकते हैं|
 

4) बैंक ईएमआई उगाही लठतंत्र: इससे तो खैर बैंकों के लोन ना उतारने या किसी वजह से ना उतार पाने वाला हर सख़्श वाकिफ ही होगा|

5) मंदिर में दलित प्रवेश निषेध पालना लठतंत्र: उत्तरी भारत में शायद कम परन्तु पूर्वी-मध्य व् दक्षिण भारत में इसकी बड़ी सिद्दत से पालना होती है और जो दलित चेतावनी पर भी नहीं समझता तो उसको फिर लठ से समझाया जाता है|

लेकिन अगर कोई जाट अपने हक मांगने के लिए भी लठ उठा ले तो यह सारे के सारे चिल्लाने लगते हैं कि देखो 'जाट लठतंत्र चला रहे हैं| या तो यह लठतंत्र पे किसी और का कब्ज़ा ना हो जाए इसीलिए घबराने लग जाते हैं, या फिर जाट इनसे अच्छा लठबाज है यह इसलिए डरने लग जाते हैं पता नहीं क्या कारण है परन्तु जब जाट लठ उठता है तो फटती अच्छे-अच्छों की है| और ऐसे आजतक सिर्फ सुना था परन्तु जैसे ही हरयाणा के जाट ने पिछले हफ्ते ही लठ उठाने की कही तो (सिर्फ बात कही ही थी, उठाया नहीं था) यह पांचों केटेगरी वाले चिल्लाने लगे| क्या आरएसएस, क्या लव कपल को पीटने वाले, क्या क्लब-बार में बॉउन्सर्स रखने वाले, क्या बैंकों वाले और क्या मंदिरों वाले सब एकमुश्त त्राहि-माम् करते दिखे|

और कानतंत्र में रहद जमा देने वाला भांडतंत्र तो फिर इनके सुर-में-सुर मिलाने को हमेशा उकडू हुआ ही रहता है|

जय योद्धेय! - फूल मलिक

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