देशी भाषा में कहूं तो ईसाई लोग इस दिन खुद भूत बन के अपने लोगों, खासकर बच्चों के भीतर से भूत का भय व् भ्रम दूर करने या कहिये कि कम करने हेतु इसको मनाते हैं| और हमारे यहाँ बाबा-फंडी-फलहरी लोग आपको भूत का डर दिखा आपसे क्या-क्या टूणे-टोटके कर क्या-कैसे धन नहीं ऐंठते?
अपने कल्चर के मूल्यांकन का अधिकार दूसरों को मत लेने दो अर्थात अपने आईडिया, अपनी सभ्यता और अपने कल्चर के खसम बनो, जमाई नहीं!
Sunday, 30 October 2022
Helloween Day, भूत, भूत का भय और भ्रम!
Wednesday, 26 October 2022
हे जी कोए यौधेय सुणे भ्यर-भाण!
शीर्षक: " हे जी कोए यौधेय सुणे भ्यर-भाण"
खेड़्यां के जाए, भूमियां के साए, हे भईयाँ की यें पिछाण,
हे जी कोए यौधेय सुणे भ्यर-भाण!
भूरा-निंघाहिया जोड़ सर चाल्ले, जा चढ़ें परस लजवाण!
हे जी कोए चौधरी सुणे भ्यर-भाण!
हाकम तोड़े, गौरे फोड़े, भोळी नैं काटे सत्रहा रंगरूटाण!
हे जी कोए यौधेया सुणी भ्यर-भाण!
खेती-करां की राड़ छयड़ी, जय्ब थे औरंगजेब के राज!
हे जी कोए यौधेय सुणे भ्यर-भाण!
ताऊ माडू नैं ले गॉड गोकुला चढ़े, भंवरकौर खपा गई ज्यान!
हे जी कोए यौधेया सुणी भ्यर-भाण!
21 मौजिज गए सुलझेड़े नैं, लिए रोक काळ की आण!
हे जी कोए चौधरी सुणे भ्यर-भाण!
तैमूर आया, चढ़या हड़खाया; दोआब के जंगळ काहन!
हे जी कोए यौधेय सुणे भ्यर-भाण!
हरवीर गुळीया नैं लिया धर खुळीयां, लंगड़े का पाट्या पसाण!
हे जी कोए चौधरी सुणे भ्यर-भाण!
चुगताई आवैं, जींद तळै टकरावैं; भागो देवै पासणे पाड़!
हे जी कोए यौधेया सुणी भ्यर-भाण!
शाहमल बाबा, दिल्ली तैं दोआबा, गौरयां की भिचगी ज्यान!
हे जी कोए यौधेय सुणे भ्यर-भाण!
जाटवान दादा नैं कुतबु साध्या; दई आधी सेना पसार!
हे जी कोए चौधरी सुणे भ्यर-भाण!
रायसाल खोखर नैं गौरी सा होंतर; दिया मार म्हाल अफगान!
हे जी कोए यौधेय सुणे भ्यर-भाण!
खेड़्यां के जाए, भूमियां के साए, हे भईयाँ की यें पिछाण,
हे जी कोए चौधरी सुणे भ्यर-भाण!
फुल्ले जाट करै पुरख याद, बीच बैठक उज़मा उज्यात!
हे जी कोए यौधेय सुणे भ्यर-भाण!
जय यौधेय!
Sunday, 23 October 2022
Happy Kolhu-Dhok, Happy Girdi-Dhok, Happy Diwali!
Saturday, 22 October 2022
कंधे से ऊपर की मजबूती के ताने ना सुन्ना चाहो तो लक्ष्मी के साथ-साथ अपनी "गिरड़ी-धोक" (आज का दिन) व् "कोल्हू-धोक" (तड़के का दिन) इनके भी दिए जलाओ!
धर्म और त्योहारों की अपनी पुरख-परिभाषाएं व् आइकॉन जिन्दा रखिए; अगर चाहते हैं कि इसकी आड़ में आपका सामाजिक स्थान व् एथनिसिटी जिन्दा रहे! अगर चाहते हो कि कोई उघाड़ा-उठाईगिरा आप पर "कंधे से नीचे मजबूत व् ऊपर कमजोर" के ताने ना मार जाए!
Monday, 17 October 2022
Uncertainties living in your unconscious and/or semi-conscious mind is the field of religion!
Religion has no outside/aerial existence/source rather "a psychological ambit made by specifc people of the society over your unconscious mind is fascinated as religion". If it is made up for human welfare with equal eyes on its followers then nothing is better than it. But if it is made-up to brainwash its followers, then nothing is worse and disastrous than it. And Fandi (propagandists) go with its both aspects humanity for self-group while brainwashing on its followers. Thus one’s society must have a dedicated psychological and philosophical wing to outlaw the possibilities of fandi propaganda on it. - Phool Kumar
Sunday, 9 October 2022
हरयाणवी गाम 'बर्राह' व् 'खरक' के हरयाणवी भाषा में अर्थ!
बर्राह गाम, जिला जिंद (जींद): मेरा गुहांड है जिसका नाम है "बर्राह", छोटी-बड्डी दो बर्राह हैं, जो कि हरयाणवी शब्द "बर्रा" से बना है, जिसका हरयाणवी में अर्थ होता है "गाम की बसासत के चारों ओर मिटटी से बनी वह किलानुमी ऊंची पाळ, जिस पर से वाहन तक चलने का रास्ता होता है"| इस पर से वाहन चल सकें जितना चौड़ा रास्ता इसलिए बनाया जाता है ताकि बर्रे की थोथ साथ-साथ दबती रहें व् जहाँ से कोई थोथ उभरे तो उनको साथ-की-साथ मरम्मत कर दी जाए व् अकस्मात आई बाढ़ के वक्त भी बर्रा मजबूत का मबजूत रहे| इसे भारी-से-भारी बाढ़ में भी बसासत को बाढ़ से मुक्त बनाये रखने का हमारे पुरखों का बंदोबस्त कहते हैं, इंजिनीरिंग कहते हैं| यह बर्रा खापलैंड के लगभग हर गाम के चारों ओर मिलता है|
Thursday, 6 October 2022
उज़मा बैठक "सांझी की सांझ अंतर्राष्ट्रीय मेळा अर मुक़ाबला 2022 - नतीजे अर न्याम!
थम सबनैं जय दादा नगर खेड़े/भैये/भूमिए की!